UTTARAKHAND : SI के पीछे क्यों पड़ें हैं BJP विधायक, SSP पर क्यों नहीं हुई कार्रवाई ? …VIDEO

पहाड समाचार

इन दिनों भाजपा के विधायक पुलिस के पीछे पड़े हुए हैं। वाकये भी दिलचस्प हैं और पुलिस की कार्रवाई भी रोचक और हैरान करने वाली है। दो तरह के मामले और दो तरह की ही कार्रवाई पुलिस ने की है। दोनों ही मामले विधायकों से जुड़े हैं। दोनों ही मामलों में पुलिस कमजोर साबित हुई है। पुलिस ने जिस तरह से एक्शन लिया उस पर भी अब सवाल खड़े हो रहे हैं।

पहली घटना रुद्रपुर की है। नानकतम्मा के विधायक डाॅ. प्रेम सिंह राणा का सोशल मीडिया में एक लेटर वायरल हुआ। उसमें उन्होंने कुछ सब इंस्पेक्टरों के ताबादलों की बात कही थी। बाकायदा यह तक बताया था कि किस सब इंस्पेक्टर को कहां भेजना है। इस बात पर मुहर तब लगी जब, सब इंस्पेक्टरों के तबादले हुए और विधायक की लिखी चिट्ठी के अनुसार ही तबादले किए गए।

 

इससे एक बात यह साफ हुई कि देशभर में पहले नंबर पर आने वाली पुलिस पर किस तरह राजनीतिक दबाव हावी है। मामले ने तूल पकड़ा तो डीजीपी ने मामले का संज्ञान लिया और सभी ट्रांसफर निरस्त कर दिए, लेकिन तब तक पुलिस सवालों से घिर चुकी थी। इन सवालों के जवाबा ना तो पुलिस के पास हैं और ना सरकार के पास ही कहने के लिए कुछ है।

दूसरा मामला मसूरी का है। यहां एक सब इंस्पेक्टर ने विधायक का चालान काटा। अगर सब इंस्पेक्टर ने चालान गलत भी काटा होगा, जैसा विधायक आरोप लगा रहे हैं। फिर भी जिस तरह से विधायक ने उनकी तरफ पांच सौ रुपये का नोट फेंककर मारा, उसे कतई सही नहीं ठहराया जा सकता। सत्ता की हनक दिखाने के लिए विधायक ने यहां तक कह डाला कि उनको पांच सौ रुपये वापस लौटाए जाने चाहिए।

मामतला यहीं नहीं थमा। पुलिस के आला अधिकारियों ने सरकार के डर से अगले ही दिन सब इंस्पेक्टर का तबादला कर दिया। आम लोगों, कांग्रेस और आम आदमी पार्टी ने इस मामले को लेकर सरकार को कठघरे में खड़ा किया। सरकार पर सवाल उठाए कि उनके विधायक पुलिस को सही ढंग से काम नहीं करने दे रहे हैं। पुलिस ने दबाव में सब इंस्पेक्टर का तबादला किया है।

सिलसिला अभी थमा नहीं है। आज एक वीडियो अपने बयानों के कारण विवदों में रहने वाले भाजपा विधायक देशराज कर्णवाल का सामने आया है। इस बयान में वो बेहद गुस्से में नजर आ रहे हैं। विधायक सब इंस्पेक्टर के ट्रांसफर से खुश नहीं हैं। वो चाहते हैं कि पुलिस वाले को सस्पेंड कर देना चाहिए। सब इंस्पेक्टर को सबक सिखाने तक की बात कह रहे हैं।

इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि आखिर सरकार के विधायक किस तरह से पुलिस के पीछे पड़े हुए हैं। हालांकि पुलिस के इस मामले में अपने तर्क हैं। जो भी तर्क हों, लेकिन दोरोगा को हटाया नहीं जाना चाहिए था। अगर मसूरी वाली घटना में दारोगा का ट्रांसफर किया गया तो, ऊधमसिंह नगर के एसएसपी को भी वहां से हटा दिया जाना चाहिए था।

प्रदीप रावत (रवांल्टा)

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posted on : June 21, 2021 4:19 pm
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