उत्तरकाशी : 16 जुलाई से शुरू होगा नाग देवता का मेला, इसलिए है खास

बड़कोट : एक गते श्रावण मास (संक्रांति) यानी 16 जुलाई को नाग देवता का मेला होगा। नाग देवता साल में एक बार बाहर आते हैं। बहुगुणा पुजारी नाग देवता की पूजा-अर्चना विधि-विधान से करते हैं।

11 दिन तक क्षेत्र के दस गांवों में मनाए जाने वाले नाग देवता मेले मेले की शुरुआत पौंटी गांव से होती है। इसके बाद नाग देवता की डोलियां मोल्डा गांव को प्रस्थान करेंगी।

पौंटी में नाग देवता मेले में शामिल होने के लिए ग्रामीण बड़ी संख्या में पहुंचे। श्रद्धालुओं ने नाग देवता की डोली का स्वागत ढोल नगाड़ों के साथ किया।

इसके बाद पौराणिक रीति-रिवाज के साथ मेले का आगाज हुआ। पौंटी गांव में दो दिन तक चले इस मेले में नाग देवता के पश्वा ने क्षेत्र की खुशहाली व सुख समृद्धि का आशीर्वाद लोगों को दिया।

अलग-अलग गांव में यह मेला 10 दिन तक मनाया जाएगा। नाग देवता की डोली सबसे पहले पौंटी से मोल्डा, हुड़ोली, पाणीगांव, छोटी बिणाई, कंताड़ी, ओडीओ, खांसी, पलेठा डंडाल गांव आदि गांवों का भ्रमण करेगी।

नाग देवता डोली आचार्य हरीश डिमरी कहना है नाग देवता शिव स्वरूप हैं। नाग देवता 2 नामों से जाने जाते हैं।भुवनेश्वर और पवनेश्वर नाग देवता मोल्डा व पौंटी थान समेत 10 गांव के इष्टदेव हैं।

नाग देवताओं का यह मेला पौराणिक काल से चला आ रहा है और उसी पौराणिकता को बनाए रखने को ग्रामीण प्रयासरत हैं। नाग देवता के दर्शन को दूर-दूर से श्रद्धालु इन मेलों में पहुंचते हैं और नाग देवताओं का आशीर्वाद लेते हैं। इसमें भाइचारे की भावना बढ़ती है।

मेले की खास बात यह है कि ग्रामीण इसमें साफ सफाई का विशेष ध्यान देते हैं। जिन देवता का मेला होता है उन गांवों मांस मदिरा का सेवन नहीं करते हैं। ककोरोना का ध्यान में रखते हुए नाग देवता मेले में बगैर मास्क के प्रवेश करना प्रतिबंधित किया गया है। यह मेला सैकड़ों वर्ष पूर्व से होता आ रहा है, जिसमें जिले के अलावा अन्य दूरदराज से भारी संख्या में श्रद्धालु पहुंचते हैं।

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posted on : July 6, 2021 4:52 pm
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