80 की उम्र में भी जवां हौसला, बेजान पत्थरों में जान फूंक देता है इनका छेनी-हथौड़ा

बड़कोट : 80 वर्ष की उम्र जीवन का वह पड़ाव होता है, जहां अक्सर लोग आराम फरमाते हैं। अपने जीवन के इस पड़ाव को बुढ़ापा कहकर बोझ समझने लगते हैं। लेकिन, कुछ लोग ऐसे भी हैं जो उम्र के इस पड़ाव में भी शानदार काम कर रहे हैं। ऐसा काम जिसे आज कोई करना ही नहीं चाहता। जिसे बिसरा दिया गया है।

इस काम में जितनी मेहनत शरीर से होती है। उससे कहीं ज्यादा दिमागी मेहनत लगती है। 80 साल की उम्र में उत्तरकाशी जिले के नौगांव ब्लॉक के सरनौल गांव  के सेवानिवृत्त शिक्षक हाथ में छेनी और हथौड़ा लिए पत्थरों में जान फूंक रहे हैं।

सरनौल गांव के सेवानिवृत्त शिक्षक रामकृष्ण रावत के हाथों से पत्थरों में जान तैरने लगती है। उन बेजान पत्थरों को हम भगवान के रूप में पूजने लगते हैं। उन पत्थरों में हम बाघ और बकरी को विभिन्न तरह के क्रियाकलापों में देखते हैं। उनकी बनाई मूर्तियों में भगवान भी अवतरित नजर आते हैं। ऐसा लगता है वह हमसे बात कर रहे हो।

सेवानिवृत्त शिक्षक रामकृष्ण रावत हस्तकला, पेंटिंग, चित्रकला के पारखी हैं। संगीत के भी जानकार हैं। रंगमंच से जुड़े रहे। आज भी उनकी अंगुलियों का जादू हारमोनियम पर कमाल कर देती हैं। शिक्षक ध्यान सिंह रावत “ध्यानी” बताते हैं कि रवांई क्षेत्र के मंदिरों पर बाघ-बकरी देखी जा सकती है।

लोग दूर-दूर से आकर काष्ठ कला के लिए इनसे परामर्श लेते हैं। हाथ में छेनी-हथोड़े से आजकल वे गढ़वालगांव सरनौल में निर्माणाधीन शिव मंदिर के लिए अपनी कला से हर एक एक आवश्यक पत्थर पर जान फूंक रहे हैं। कहते हैं कि उनका सानिध्य मिलना हमारे लिए सौभाग्य की बात है।

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posted on : November 30, 2020 2:52 am
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