उधमसिंह नगर : राज्य में सरकार के भले ही तीन मुख्यमंत्री बदल गए हों, लेकिन तमाम दावों के बाद भी सरकारी हालात जस के तस हैं। व्यवस्था है कि बदलने का नाम ही नहीं ले रही। विभागों के अधिकारी अपने लापरवाह और अड़ियल रवैए पर टिके हुए हैं।
माजरा तब और गंभीर हो जाता है, जब प्रकरण शिक्षा मंत्री के होम डिस्ट्रिक्ट का हो। एक महिला शिक्षिका 5 महीने से छुट्टी का इंतजार कर रही है। लेकिन, शिक्षा विभाग के अधिकारी अब तक यह तय नहीं कर पाए हैं कि उनको छुट्टी दी जाए या नहीं।
इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि अधिकारी कितने संवेदनशील हैं। उनको इस बात से भी कोई फर्क नहीं पड़ता कि मुख्यमंत्री और शिक्षा मंत्री उन्हीं के जिले के हैं और लापरवाही पर कार्रवाई के निर्देश भी दिए हैं।
शिक्षा मंत्री अरविंद पांडे के गृह जिले में कार्यरत शिक्षिका विजय लक्ष्मी सैनी ने इसी साल जनवरी में बच्चे को गोद लेने के बाद बाल दत्तक ग्रहण अवकाश के लिए आवेदन किया था, लेकिन विभाग पांच महीने बाद भी यह तय नहीं कर पाया है कि शिक्षिका को छुट्टी दी जाए या नहीं।
प्रदेश में महिला सरकारी सेवकों को जिनकी दो से कम जीवित संतानें हों और जिन्होंने एक वर्ष की आयु तक के शिशु को गोद लिया गया हो। उनको पूरे सेवाकाल में एक बार अधिकतम 180 दिन के बाल दत्तक ग्रहण अवकाश दिए जाने की व्यवस्था है। इस संबंध में 10 अक्तूबर 2017 को शासनादेश भी जारी किया जा चुका है।
बावजूद राजकीय इंटर कॉलेज बांसखेडा काशीपुर जिला ऊधमसिंह नगर में भौतिक विज्ञान की लेक्चरर विजय लक्ष्मी सैनी अवकाश के लिए खंड शिक्षा अधिकारी कार्यालय से लेकर शिक्षा निदेशालय के चक्कर काट रही हैं।
पूरी कानूनी प्रक्रिया के तहत 20 दिन के बच्चे को गोद लेने वाली इस शिक्षिका ने 18 जनवरी से 16 जुलाई तक छुट्टी के लिए आवेदन किया। शिक्षिका पांच महीने बाद स्कूल में पदभार ग्रहण कर चुकी हैं, लेकिन विभाग यह तय नहीं कर पाया है कि उसकी छुट्टी मंजूर की जाए या नहीं।