देहरादून: विधानसभा चुनाव के लिए नामांकन हो चुके हैं। चुनाव से जुड़े कई मिथक होते हैं। इन मिथकों और मान्यताओं को भी राजनीतिक दल चुनाव में पूरी अहमियत देते हैं। हालांकि, समय-समय पर मिथक टूटते भी रहे हैं। उत्तराखंड की राजनीति से भी कुछ ऐसे ही मिथक जुड़े हैं।
खास बात यह है कि ये मिथक सालों से चले आ रहे हैं और आज भी बरकरार हैं। राज्य की चार सीटें ऐसी हैं, जिन पर जीत और हार से सरकारें बनती हैं। दिलचस्प यह है कि केवल जीत ही नहीं, बल्कि हारने से भी सरकार बनती है।
गंगोत्री
गंगोत्री सीट ऐसी सीट है, जहां जिस भी पार्टी का विधायक जीतता है, सरकार उसीकी बनती है। 2002 के चुनाव में कांग्रेस के विजयपाल सजवाण जीते, उन्होंने 7878 वोट हासिल किए जबकि सीपीआई के कमला राम नौटियाल यहां 7268 वोटों के साथ दूसरे स्थान पर रहे। कांग्रेस की सरकार बनी। 2007 के चुनाव में यहां भाजपा के गोपाल सिंह रावत जीते। उन्होंने कांग्रेस के विजयपाल सजवाण को हराकर जीत हासिल की। सरकार भाजपा की बनी। 2012 के चुनाव में कांग्रेस के विजयपाल सजवाण जीते, सरकार कांग्रेस की बनी। 2017 के चुनाव में फिर भाजपा के गोपाल सिंह रावत जीते। इस फिर भाजपा की सरकार बनी।
बदरीनाथ
गंगोत्री की तरह ही बद्रीनाथ सीट का भी इतिहास है। 2002 में कांग्रेस के प्रत्याशी डॉ. अनुसूइया प्रसाद मैखुरी जीते। कांग्रेस की सरकार बनी। 2007 में भाजपा के केदार सिंह फोनिया जीते जबकि। सरकार भाजपा की बनी। 2012 में कांग्रेस के राजेंद्र सिंह भंडारी जीते। सरकार कांग्रेस की बनी। 2017 में भाजपा के महेंद्र भट्ट जीते। सरकार भाजपा की बनी।
रामनगर
2002 में कांग्रेस के योगेंबर सिंह जीते। सरकार कांग्रेस की बनी। 2007 में भाजपा के दीवा सिंह बिष्ट विजेता रहे। सरकार भाजपा की बनी। 2012 में कांग्रेस की अमृता रावत जीती। सरकार कांग्रेस की बनी। 2017 में भाजपा के दीवान सिंह विजेता रहे। इस भाजपा की बनी।
रानीखेत
रानीखेत सीट का इतिहास कुछ अलग है। यहां जीतने वाले नहीं, बल्कि हारने वाली र्पाअी की सरकार बनती है। 2002 चुनाव में भाजपा के अजय भट्ट जीते। विजेता भाजपा का रहा और राज्य में सरकार कांग्रेस की बनी। 2007 में कांग्रेस के करन माहरा विजेता रहे। राज्य में सरकार भाजपा की बनी। 2012 में भाजपा के प्रत्याशी अजय भट्ट जीते। भाजपा प्रत्याशी जीते लेकिन राज्य में सरकार कांग्रेस की बनी। 2017 में कांग्रेस के करन माहरा जीते, भाजपा के अजय भट्ट हार गए। सरकार भाजपा की बनी।
पुरोला
पुरोला सीट से भी कमोबेश यही स्थिति रही है। इस सीट से जिस भी पार्टी का विधायक जीत कर आता है। उसी पार्टी की सरकार कभी नहीं बनी। इस बार भी समीकरण कुछ ऐसे ही नजर आ रहे हैं।