उत्तराखंड : प्रधान जी का गंभीर सवाल, कहीं सबसे बड़ा घोटाला ना साबित हो ये योजना?

केंद्र की जल जीवन मिशन योजना को लेकर केंद्र से लेकर राज्य सरकारें तक खूब प्रचार कर रही हैं। उत्तराखंड में भी जल जीवन मिशन के तहत राज्य के गांवों में योजना का सर्वे होने के बाद टेंडर भी हो गए हैं, लेकिन बड़ा सवाल यह है कि ये सर्वे कब हुए और किसने किए? कई ग्रामसभाओं के प्रधानों तक को इसके बारे में जानकारी नहीं हैं। दूसरा बड़ा सवाल यह है कि राज्य में बहुत कम गांव ऐसे हैं, जिन गांवों में लोग पहले अपने घरों में पानी के कनेक्शल लिए हुए हैं। फिर किसी आधार पर गांव के लिए योजना बनाई गई और किस तरह से पूरे गांव को सर्वे किया गया? उन लोगों का क्या होगा, जिनके पहले से ही नल लगे हैं? इन्हीं सवालों पर टिहरी जिले के लिखवार गांव के ग्राम प्रधान चेद्र शेखर पैन्यूली ने एक पोस्ट लिखी है, जो अब वायरल हो रही है।

 

उन्होंने लिखा है कि जल जीवन मिशन में उन गांव में ठेकेदार क्या काम करेंगे, जहां पहले से ही घर घर लोगों ने अपने खर्चे से नल ले जा रखे हंै? दूसरी बात जब ग्राम प्रधानों को बिना विश्वास में लिए सर्वे किया गया, सर्वे किसने कब किया? या कब की रिपोर्ट को सर्वे का आधार माना गया? ये कई प्रधानों को पता ही नहीं है या फिर उनको बताया ही नहीं गया। विभाग ने हवा-हवाई सर्वे के आधार पर ही योजना तैयार कर दी। कई गांवों में टेंडर पड़ चुके हैं, लेकिन जिनको कार्य करने का ठेका मिला वो ठेकेदार ग्राम प्रधान को सूचित तक करना नहीं चाह रहे हैं। क्योंकि उन्हें शायद लगता है कि प्रधानों को क्या बताना?

वो अपने दल-बल के साथ गांव में जाकर दो-चार दिन अपने चहेतों संग पार्टी वगैरह करेंगे, काम तो क्या करना जब ऑलरेडी गांवों में कनेक्शन हैं ही। वैसे भी वो अधिकारी जिंदाबाद जिनकी बदौलत उन्हें ठेके मिले हैं। जब प्रधानों को बताना उचित नहीं समझा जा रहा तो फिर किस बात की समिति बनेगी? कहीं ये जल जीवन मिशन गांव-गांव में लोगों को आपस में ना लड़वा दे। क्योंकि जहां जल उपलब्ध है। घर-घर में वहां काम क्या करेंगे ठेकेदार और जिन गांवों में पानी की किल्लत है, वहां खाली स्टैंड पोस्ट खड़े करके क्या फायदा, जब पीछे से नलों में पानी नहीं आएगा। दूसरा सरकार का आदेश है कि जल्द आंगनवाड़ी भवनों आदि में पानी का कनेक्शन दिया जाए, लेकिन जिन गांव में आंगनवाड़ी भवन या पंचायत भवन ही नहीं हंै, वहां कनेक्शन कहां पर दिया जाएगा?

 

कुल मिलाकर ग्राम प्रधानों को बिना विश्वास में लिए या गांव की वास्तविक स्थिति को जाने समझे, इस तरह से कुछ ठेकेदारों को फायदा पहुंचाने के उद्देश्य से जल जीवन मिशन का कार्य करवाया जाना समझ से परे है। पीएम मोदी के इस शानदार मिशन को कहीं जल्दबाजी में या शाबासी पाने के चक्कर मे गांवों में जल जीवन मिशन को धरातलीय वास्तविकता को जाने बगैर कागजों में ही फटाफट योजना को पूरा ना दिखा दिया जाए? कहीं ऐसा ना हो कि ये मिशन राज्य सरकार के लिए एक बड़ा नासूर साबित हो जाए? मुझे तो इस बात से बड़ा अटपटा लगा कि बिना ग्राम प्रधानों से कोई भी जानकारी प्राप्त किये बगैर टेंडर डाले जा रहे हैं। कब समिति बनेगी, बनेगी तो उसका स्वरूप क्या होगा? इन सब बातों को नजरअंदाज करना जरूर भारी पड़ सकता है। एक तरफ ग्राम पंचायतों को मजबूती देने की बात हो रही है। वहीं, दूसरी तरफ इस तरह की मनमानी चल रही है।

  • चन्द्रशेखर पैन्यूली
    प्रधान, लिखवार गांव
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posted on : November 22, 2020 11:15 am
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