UTTARAKHAND : BJP में कांग्रेस के पूर्व बागियों की बगावत! दिल्ली जा रहे महाराज

देहरादून: भाजपा में बगवाती तेवर नजर आने लगे हैं। नजर तो पुष्कर सिंह धामी के नाम का ऐलान सीएम के लिए होते ही आने लगे थे, लेकिन अब ये सुर और पक्केतौर पर दिखाई दे रहे हैं। माना जा रहा है कि सतपाल महाराज से लेकर हरक सिंह रावत और बिशन सिंह चुफाल समेत कुछ अन्य चेहरे भीतर-भीतर ही रणनीति बनाने में जुटे हैं। वैसे चेहरे काफी कुछ बयां कर रहे थे।

इन बगावती चेहरों में कुछ भाजपा के और कुछ कांग्रेस से भाजपा में आए पूर्व कांग्रेसी बागी हैं। ये बागी हैं, जिन्होंने कांग्रेस की सरकार को गिरा दिया था। तब भाजपा में इनका ग्रैंड वैलकम हुआ था। सरकार बनी तो मंत्री भी बनाए गए। उनको खुली छूट दी गई। यहां भी बगावत जारी रही। पहले त्रिवेंद्र के खिलाफ अब धामी के खिलाफ भी वही तेवर नजर आ रहे हैं। इनके अलावा कुछ भाजपा नेता भी बगावत की तैयारी में हैं।

सवाल केवल कांग्रेस से भाजपा में आए बगावती नेताओं का ही नहीं। बल्कि राजनीति दलों का है। भाजपा हो या कांग्रेस दोनों ही दल एक-दूसरे के नेताओं को अपने साथ जोड़-तोड़ कर किसी भी कीमत पर शामिल करा लेते हैं। यह जानते हुए भी कि जिस नेता को वो शामिल कर रहे हैं, वो दूसरी पार्टी में बगावत कर चुके हैं। यहां भी बगावत कर चुके हैं। बावजूद उनको शामिल किया जाता है।

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इससे एक बात तो साफ हो जाती है कि राजनीति दलों की नीति और नीति एक जैस ही होती है। दावे भले ही राज्य के विकास के किए जाते हों, लेकिन नेताओं ने अपना और अपने चाहने वालों का ही विकास किया हैं।

नेताओं के चुनाव में दिए हलपनामों की पड़ताल करेंगे, तो वो पूरी सच्चाई बयां कर देते हैं। पांच साल पहले विधायक बनने वाला नेता पांच साल बाद 200 गुना ज्यादा संपत्ति का मालिक हो जाता है। दावे जनसेवा के करते हैं, फिर संपत्ति कैसे जुटा लेते हैं, से बड़ा सवाल है।

राज्य बनने के बाद से अब 20 साल में 11 मुख्यमंत्री बन गए। उनमें से एक मात्र मुख्यमंत्री ही कार्यकाल पूरा कर पाए। उसके बाद भाजपा हो या कांग्रेस दोनों ही राजनीति दलों ने राज्य को मुख्यमंत्री देने के अलावा किया ही क्या है?

पूर्व कांग्रेसी। आपको समझने में ज्यादा देर नहीं लगी होगी। ये वो नेता हैं, जो पहले कांग्रेस को ले डूबे अब भाजपा को डुबोने की तैयारी में हैं। इनका अगला ठिकाना अब आप हो सकता है। आप वालों ये तुम्हें भी ले डूबेंगे।

ये ऐसे नेता हैं, जिनके लिए राज्य के हित कम और अपने हित ज्यादा महत्वपूर्ण रेह हैं। ऐसे नेताओं की जमात केवल कांग्रेस में ही नहीं, भाजपा में भी है। या यूं कहें कि नेता ही नहीं पार्टियों के लिए ही उत्तराखंड घी का लोटा हो गया है, जिसमें उनकी पांच अंगुलियां डूबी हुई हैं।

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posted on : July 4, 2021 12:51 pm
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