हुंणियांं देवता बचाते हैं ग्रामीणों की फसल, नागराज के साथ होती है पूजा

उत्तरकाशी : जिले की बरसाली पट्टी के नाकुरी बरसाली मांंगली सेरा के लोग इंद्र भगवान के प्रतिनिधि के रूप में बिराजमान हुंणियां देवता की पूजा इष्टदेव नागराजा की डोली के साथ की जाती है। चार किलोमीटर की खड़ी चढ़ाई चढ़ कर पूजा करने बरसाली हुंंणियांं महाराज के स्थान पर गांंव के सभी लोग एकत्रित होकर इष्टदेव नागराजा की डोली के साथ पहुंचते हैं और उसके सामूहिक रूप से अ करते हैं । आने वाली फसल धान, मंडवा, झंगोरा, कौणी, चीणा आदि फसलों को सुरक्षित रखने के लिए भगवान हुंंणियांं महाराज से प्रार्थना करते हैं। कुलमिलाकर  प्रकृति के देवता से विनती करते हैं कि उनकी फसलों को सुरक्षित रखें।

क्षेत्र के लोकेंद्र सिंह बिष्ट ने बताया कि पौराणिक मान्यताओं में कहा जाता हैं कि -जब इंद्र भगवान किसी भी क्षेत्र में  ओला वृष्टि करातेे हैं तो हुंंणिया महाराज इस ओलावृष्टि अपनी घाटी में रोक देता है और फसलों को सुरक्षित रखते हैं। इसी कारण सभी ग्रामीण इस पूजा-अर्चना में  बढ़ चढ़ कर हिस्सा लेते हैं। अगस्त के अंतिम सप्ताह को ग्रामसभा बरसाली और मांंगली सेरा के ग्रामीणों ने अपने आराध्य कुल देवता श्री नागराजा महाराज के साथ  पुरानी बरसाली में हुंंणिया देवता की पूजा की।

 

आपको बताते चलें कि  खरीफ की फसल की बुआई के समय व फसल आने यानी पकने के समय इंद्र देव भगवान के रूप में पूजे जाने वाले हुंंणिया देवत। को पूजा दी जाती है। खरीफ की फसल धान  आदि की फसलों के लिए अधिक पानी की आवश्यकता होती है। इसलिए ग्रामीण फसलों के लिए अच्छी बारिश के लिए भगवान इंद्र देव यानी उनके रूप में पूजे जाने वाले हुंंणीया देवता को पूजा देकर प्रार्थना करते हैं। 

क्षेत्र के युवा देश राज सिंह बिष्ट का कहना है कि यह प्रथा हमारे बुजुर्गों से चली आ रही है। फसल पकने पर भी फसलों को तेज बारिश व ओलों से सुरक्षा के लिए भी भगवान हुंंणिया देवता की पूजा की जाती है। इसी क्रम में अच्छी फसलों की उपज के लिए भी  प्रार्थना करते हैैं। इस पूजा में भगवान नागराज की डोली के साथ व ढोल नगाड़ों के साथ झूमते, गाते, नाचते इस पर्व को मनाते हैं।

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posted on : August 31, 2020 7:46 am
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