उत्तराखंड: कब तक रेफर सेंटर बने रहेंगे पहाड़ के अस्पताल, मां और गर्भस्थ शिशु की मौत

नई टिहरी : स्वास्थ्य मंत्री धन सिंह रावत बेहतर स्वास्थ्य सुविधाओं के भले कितने ही दावे करें, लेकिन सच यह है कि पहाड़ के ज्यादातर अस्पताल रेफर सेंटर बने हैं। डॉक्टरों की भारी कमी है। सरकार दावे तो करती है, लेकिन डॉक्टरों को नियुक्ति नहीं की जाती, जिसका खामियाजा लोगों को भुगतना पड़ रहा है। ऐसा ही एक मामला टिहरी के लंबगांव में सामने आया है। यहां गर्भवती महिला को रेफर कर दिया गया। नतीजा यह हुआ कि महिला और गर्भस्थ शिशु की मौत हो गई।

प्रतापनगर ब्लाक के हेरवाल गांव निवासी प्रसव पीड़िता ने अस्पताल ले जाते समय रास्ते में ही दम तोड़ दिया। महिला को बुधवार सुबह दर्द हुआ, जिसके बाद स्वजन उसे सीएचसी लंबगांव ले गए। वहां डाक्टरों से उसे जिला अस्पताल के लिए रेफर कर दिया गया, लेकिन प्रसव पीड़िता ने रास्ते में ही दम तोड़ दिया। वहीं गर्भ में पल रहे बच्चे की भी मौत हो गई।

गांव के प्रधान अब्बल सिंह ने बताया कि 31 वर्षीय रामचंद्री देवी पत्नी धनपाल को बुधवार सुबह करीब साढ़े आठ बजे प्रसव पीड़ा हुई। इसके बाद स्वजन उसे सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र लंबगांव ले गए, लेकिन यहां पर उचित उपचार नहीं मिलने के चलते उसे जिला अस्पताल के लिए रेफर किया गया। इसके बाद पीड़िता को 108 सेवा के माध्यम से जिला अस्पताल भेजा गया, लेकिन डोबरा के पास महिला ने दम तोड़ दिया।

प्रधान सब्बल सिंह का कहना है कि सीएचसी लंबगांव में स्वास्थ्य की उचित व्यवस्था नहीं है। इस कारण यह रेफर सेंटर बना हुआ है। यदि यहां पर गर्भवती को समय पर उचित उपचार मिलता तो उसे रेफर करने की आवश्यकता नहीं होती। उन्होंने कहा कि सीएचसी में स्वास्थ्य सुविधाओं का अभाव है और क्षेत्रवासी यहां पर लगातार स्वास्थ्य सुविधाएं व डाक्टरों की मांग करते आ रहे हैं।

जिला अस्पताल के मुख्य चिकित्साधीक्षक (सीएमएस) डा. अमित राय का कहना है कि महिला को पहले से कुछ दिक्कतें थीं। उसकी बराबर जांच भी नहीं कराई गई। महिला के पहले से एक बेटा और एक बेटी है। समय पर जांच नहीं होने के चलते भी महिला को परेशानी हुई होगी। पोस्टमार्टम के बाद ही वास्तविकता का पता चल पाएगा।

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posted on : January 18, 2024 9:19 am
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