देहरादून : पुलिस हर साल बड़ी मात्रा में अवैध हथियार पकड़ती है। उन हथियारों को मालखाने में रख दिया जाता है। सालों मालखाने में रहने के बाद वो किसी काम नहीं आते हैं। कोर्ट के आदेश के बाद उन हथियारों को गला दिया जाता है यानी नष्ट कर दिया जाता है। उसके लिए पुलिस को अलग से खर्च भी करना होता है। बिहार की पटना पुलिस ने इन हथियारों को लेकर एक नया प्रयोग किया। उत्तराखंड पुलिस भी अब उसी राह पर आगे बढ़ रही है।
कृषि यंत्र बनाने की योजना
दरअसल, बिहार की पटना पुलिस ने पकड़े गए अवैध हथियारों को गलाने के बजाय उनसे कृषि यंत्र बनाने की योजना शुरू की। ठीक उसी तर्ज पर अब उत्तराखंड पुलिस अवैध हथियारों का इस्तेमाल खेती के उपकरण या औजार बनाने के लिए करने की योजना में जुटी है। क्राइम टू क्रिएशन योजना बनाकर सालों से मालखाने में जमा हथियारों को भट्टी में गलाकर कृषि में काम आने वाले कई उपकरण बनाए जाएंगे।
अवैध हथियारों के साथ
उत्तराखं डमें मैदानी जिलों में ऊधमसिंह नगर, हरिद्वार क्राइम के कामले में राज्य में सबसे आगे हैं। इन्हीं दो जिलों में सबसे अधिब अवैध असलहे पकड़े जाते हैं। हालांकि पिछले कुछ सालों में देहरादून समेत दूसरा जिलों में भी इस तरह के मामले सामने आ रहे हैं। पिछले दो सालों में पुलिस एक हजार से अधिक लोगों को अवैध हथियारों के साथ पकड़ चुकी है।
मालखानों में कई सालों से हथियार पड़े हुए हैं
राज्य में कई मालखानों में कई सालों से हथियार पड़े हुए हैं। उनको नष्ट भी नहीं किया जा सका है। पुलिस की योजना के अनुसार अवैध राइफल, बंदूक और कट्टे को गलाकर कृषि के लिए खुरपी, कुदाल और हसिया बनाई जा सकती है। इसके अलावा कुछ अन्य उपकरण भी बनाए जा सकते हैं। कृषि उपकरण बनाकर पुलिस इन्हें काश्तकारों को खेती के लिए देगी। डीजी लाॅ एंड आॅर्डर अशोक कुमार ने बताया कि क्राइम टू क्रिएशन योजना बनाकर अवैध हथियारों से कृषि उपकरण बनाने का प्रयोग किया जाएगा।