उत्तराखंड में खिला जापान का ये फूल, मेहमान बनकर आया था, यहीं का हो गया…

फूलों की दुनिया बड़ी अनोखी होती है। ऐसे-ऐसे रंगों को समेटे होती है, जिन रंगों के नाम भी कई बार समझ से परे हो जाते हैं। रंगों की दुनिया के जिनते भी रंग हैं। फूलों के रंग उन रंगों की दुनिया से बाहर अपनी ही दुनिया के रंगों में रंगे होते हैं। ऐसे ही रंगीन फूलों की दुनिया है…फूलों की घाटी। वर्ल्ड हेरिटेज फूलों की घाटी।

इस बार इसकी चर्चा खूब हो रही है
फूलों की घाटी में वैसे तो यह फूल हर बार खिलता है, लेकिन इस बार इसकी चर्चा खूब हो रही है। सोशल मीडिया में फोटो आने के बाद इस बेहद खूबसूरत और मानमोहक खुशबू के मालिक इस फूल ने अपने के लिए खबरों में भी जगह बना ली। ब्लू पॉपी नाम का ये फूल वैसे तो हर किसी को पहली ही नजर में अपनी ओर खींच लेता है, लेकिन जापान के पर्यटों की ये पहली पसंद हैं।

इसका रंग फुल HD
इसका रंग फुल एचडी यानी हाई डेफिनेशन टाइप का है। देखकर ऐसा लगता है, जैसे ये हमसे बातें कर रहा होगा। हमारे एकदम पास होगा। वानस्पतिक नाम मेकोनोपसिस बीटोनिकफोलिया से जाने जाने वाले ब्लू पॉपी का दीदार करने के लिए हर साल जापानी पर्यटक फूलों की घाटी में आते हैं।

1986 तक यह फूलों की घाटी में नहीं था
ब्लू पॉपी के फूलों की घाटी में मेहमान की तरह आया था, लेकिन अब वो फूलों की घाटी का स्थाई और अहम सदस्य हो गया है।जानकारों के अनुसार 1986 तक यह फूलों की घाटी में से नहीं दिखाई देता था। 1986 में जापान के शोध छात्र चो बकांबे फूलों पर शोध के लिए फूलों की घाटी आए थे। उन्होंने जापान में पसंद किए जाने वाले ब्लू पॉपी के बीज घाटी में बिखेर दिए थे।

ब्लू पॉपी (Blue Poppy) की क्यारी सजी थी
तीन साल बाद जब वह दोबारा फूलों की घाटी आए तो वहां ब्लू पॉपी (Blue Poppy) की क्यारी सजी थी। यह खूबसूरत ब्लू पाॅपी जुलाई से अगस्त के आखिर तक हेमकुंड साहिब और फूलों की घाटी में खूब खिलता है। दुनिया में ब्लू पॉपी की 40 प्रजातियां हैं। इनमें से 20 भारत में पाई जाती हैं। इस फूल की जड़ों को जहरीला माना जाता है।

समुद्रतल से 12500 फीट की ऊंचाई पर
समुद्रतल से 12500 फीट की ऊंचाई पर 87.5 वर्ग किमी क्षेत्रफल में फैली फूलों की घाटी जैव विविधिता का खजाना है। यहां पर दुनिया के दुर्लभ प्रजाति के फूल, वन्य जीव-जंतु, जड़ी-बूटियां व पक्षी पाए जाते हैं। फूलों की घाटी को वर्ष 1982 में राष्ट्रीय उद्यान घोषित किया गया। 2005 में यूनेस्को ने इसे विश्व प्राकृतिक धरोहर का दर्जा प्रदान किया। यहां पर प्राकृतिक रूप से 500 से अधिक प्रजाति के फूल खिलते हैं।

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posted on : July 14, 2021 1:15 pm
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