- प्रदीप रावत (रवांल्टा)
देहरादून: राज्यसभा सांसद अनिल बलूनी अपनी माटी से जुड़ने और लोगों को वापस अपनी माटी की ओर लाने के लिए लगातार मुहिम चला रहे हैं। उनका लक्ष्य है कि लोग अपनी जमीन से जुड़ें, जिससे बर्बाद और खाली होते पहाड़ को फिर से गुलजार किया जा सके। आबाद किया जा सके। सूने आंगनों में फिर से रौनक लौटाई जा सके। लोग छोटे से बहाने से ही, फिर से अपने गांव से तो जुड़ पाएंगे।
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गांव से उखड़ चुकी जड़ों ने अगर एक बार फिर से जमीन पकड़ ली, तो वो दिन दूर नहीं होगा कि वहां से नई कोपलें निकल आएं। बलूनी की मुहिमें केवल हवाई नहीं हैं। उनका अपना धरातल है और उस पर नजर भी आती हैं। यही कारण है कि उनका रंग दिखता है और असर भी होता है।
अनिल बलूनी इगास को गांव में मनाने की मुहिम चलाते आए हैं।
अनिल बलूनी इगास को गांव में मनाने की मुहिम चलाते आए हैं। इस बार भी उन्होंने इगास को गांव में मनाने की अपील सोशल मीडिया के जरिए की, जिसका असर भी नजर आया। इस मर्तबा नैनीताल-ऊधमसिंह नगर सीट से लोकसभा सांसद अजय भट्ट ने बलूनी की मुहिम के बाद गांव में इगास मनाने का फैसला किया है। उन्होंने राज्यसभा सांसद की इस मुहिम के साथ अन्य प्रयासों की भी सराहना की।
राज्य के विकास में अपनी अहम भूमिका निभा रहे हैं।
इससे पहले अनिल बलूनी मेरा वोट, मेरे गांव मुहिम भी चला चुके हैं। उनकी इस मुहिम से तब देशभर में रह रहे उत्तराखंड के नामचीन लोग जुड़े और सफल बनाने में अपना योगदान दिया। अनिल बलूनी का पिछले लंबे समय तक स्वास्थ्य खराब रहा। इस कारण वो इगास मनाने गांव नहीं आ पाए थे। लेकिन, भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता संबित पात्रा ने उनके गांव आकर इगास मनाई थी।
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भाजपा के मुख्य प्रवक्ता और राष्ट्रीय मीडिया प्रमुख बलूनी की इस मुहिम का उत्तराखंड में कुछ लोगों ने मखौल भी उड़ाया था। गंभीर बीमार होने के बावजूद लोगों ने सवाल उठाए कि बलूनी ने घोषणा तो की, लेकिन खुद अपने गांव नहीं आए। मीडिया में इस तरह की खबरें प्लांट करने वाले कुछ वेबसाइट के संपादकों को लोगों के गुस्से का शिकार भी होना पड़ा था।
हालांकि, अनिल बलूनी को इन बातों से कोई खास फर्क नहीं पड़ता है। वो लगातार अपने काम में जुटे हैं। राज्य के विकास में अपनी अहम भूमिका निभा रहे हैं। उनकी एक दूसरी मुहिम यह भी है कि राज्य के विकास की योजनाओं के लिए काम करते रहेंगे, लेकिन उनका ना तो होर्डिंग-बैनर लगाकर प्रचार किया जाएगा और ना ही किसी बड़े आयोजन में उद्घाटन किया जाएगा। कर्मचारी या किसी बुजुर्ग व्यक्ति से उद्घाटन कराकर वो मिसाल पेश कर चुके हैं। उनके होर्डिंग और बैनर भी नजर नहीं आते हैं। यह उनकी सादगी को दिखाता है।