उतराखंड : साहब नाम बताने में संकोच क्यों, घोटाला हुआ है तो मान क्यों नहीं लेते अपनी गलती ?

चमोली : 29 जून को सामाजिक कार्यकर्ता शशिभूषण मैठाणी ने एक वीडियो सरकारी विभाग की कारगुजारियों को उजागर करते हुए सोशल मीडिया पर अपलोड किया। जिसका मुख्यमंत्री कार्यालय ने संज्ञान लिया। फिर वहां से DM चमोली से उक्त मामले में जानकारी मांगी गई। DM चमोली ने भी वीडियो में जल संस्थान के कारनामे देख अधिकारियों की क्लास ले ली और उन्हें गोपेश्वर जोशीमठ दौड़ा दिया।

लेकिन, एक साथ झुण्ड में जोशीमठ मौके पर पहुंचे जल संस्थान के SE, EE , AE, JE और अन्य जूनियर कर्मचारियों में हेड बॉस अधीक्षण अभियंता EE सैनी साहब ने यह मानने से इंकार कर दिया कि वह किसी CM और DM के कहने पर यहां पहुंचे हैं जब कैमरा उनकी ओर गया तो उनकी आवाज मानो हलक अटकती चली गई । उनसे पूछा उनका नाम गया लेकिन वह जवाब कुछ और देते गए। पलभर में कैमरा घुमा दिया।

उनके मातहत EE अधिशासी अभियंता राजेश की ओर जो कि कुछ देर पहले कह रहे थे कि वह खुद से निरीक्षण करने आए हैं, परन्तु जैसे ही कैमरा ऑन हुआ तो वह सच बोल गए कि उन्हें DM मैडम का व्हाट्सप आया था, जिसके बाद वह यहां मौके पर निरीक्षण के लिए पहुंचे हैं।

दरअसल, विभाग ने बदरीनाथ यात्रा के मुख्य पड़ाव जोशीमठ के सिंहधार में 15 वर्षों से ठप्प पड़े पुराने एक पुराने टैंक की लिपाई-पुताई कर उसे बदरीनाथ यात्रा व्यवस्था में पेयजल की शानदार व्यवस्था बताने की कोशिश की लेकिन इनकी किस्मत खराब रही और वह मेरे कैमरे में कैद हो गया।

जैसे ही मैंने वीडियो वायरल किया तो शासन प्रशासन ने संज्ञान ले लिया । CM कार्यालय देहरादून से चमोली गोपेश्वर में DM से सम्पर्क क्या किया गया कि उसके बाद जल संस्थान के अधिकारी कर्मचारी और ठेकेदार की नींद उड़ गई। अपनी चोरी/घोटाला छुपाने के लिए विभाग द्वारा आनन फानन में मामले को दबाने का इशारा किया।

मजेदार बात तो यह रही कि ठेकेदार ने भी 1 जुलाई की सुबह अंधेरा का वक़्त चुना ताकि लोगों की नजर से बचा जा सके पर पकड़ में आ गया … उसके पेंटर ने अब लाल रंग के पेंट से लिख दिया कि यह टैंक निष्प्रयोज्य है। मतलब यह पानी पीने योग्य नहीं है। अब सवाल ये कि जब टैंक निष्प्रयोज्य है तो उस पर लीपापोती करके क्यों सरकारी धन का दुरूपयोग किया गया ?

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posted on : July 1, 2021 9:51 pm
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