ना पट्टा, ना मानकों का पालन, ग्रामीणों के लिए नासूर बना स्टोन क्रशर

बड़कोट: नौगांव में कोटियाल गांव के ठीक नीचे स्टोन क्रशर प्लांट लगा हुआ है। इस प्लांट के आसपास लोगों की खेती है। स्टोन क्रशर के ठीक ऊपर की ओर कोटियाल गांव और यमुना नदी के उस पार सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र यानी ब्लाॅक का सबसे बड़ा अस्पताल है। ग्रामीणों का आरोप है कि ये स्टोन क्रशर बगैर पट्टे के चल रहा है। मानकों को भी पूरा नहीं करता है। इससे लोगों की फसल तो बर्बाद हो रही है। धूल से स्वास्थ्य पर भी गंभीर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है।

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बड़कोट तहसील में धरना शुरू
ग्रामीणों ने स्टोन क्रशर को यहां से हटाने या फिर बंद करने की मांग की थी, लेकिन उस पर कोई कार्रवाई नहीं हुई। दरअसल, नौगांव ब्लाॅक के जट्टा तोक में पिछले लंबे समय से स्टोन क्रशर चल रहा है, जिसके खिलाफ अब ग्रामीण मुखर हो गए हैं। कोटियाल गांव के ग्रामीणों ने बड़कोट तहसील में धरना शुरू कर दिया है। भाजपा के पूर्व मंडल अध्यक्ष विजय बंधानी के साथ ग्रामीण महिलाएं यहां धरने पर बैठी हैं।

आंदोलन तेज किया जाएगा
ग्रामीणों ने एसडीएम के जरिए डीएम को नौ सूत्रीय मांगों का ज्ञापन भेजा है। ज्ञापन में कहा गया है कि उन्होंने इस संबंध में 20 नंवबर 2019, 20 जून 2020 और एक सितंबर 2020 को इस क्रशर के कारण ग्रामीणों को रही परेशानियों के बारे में अवगत करवाया था। लेकिन, कोई कार्रवाई नहीं हुई। मजबूरन धरना देना पड़ रहा है। अगर कार्रवाई नहीं हुई तो आंदोलन तेज किया जाएगा।

खेती की जमीन बंजर होने की कगार पर
ग्रामीणों का कहना है कि स्टोन क्रशर से निकलने वाली धूल से उनकी सैकड़ों नाली खेती की जमीन बंजर होने की कगार पर आ गई है। इससे उनकी नकदी फसल टमाटर, मटर, खीरा, शिमला मिर्च, फ्रांसबीन के उत्पादन में तीन-चार साल से गिरावट हो रही है। पशुओं की चारापत्ती, घास और पशुओं का पेयजल प्रदूषित हो रहा है। साथ ही पशुओं को भी कई बीमारियां हो रही हैं।

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स्टोन क्रशर बिना पट्टे के संचालित
उनका आरोप है कि जट्टा में दो साल से स्टोन क्रशर बिना पट्टे के संचालित किया जा रहा है। क्रशर मालिक अवैध ढंग से यमुना नदी के किनारों पर रातों-रात खनन कर अपना धंधा चला रहा है। इससे सरकार को राजस्व का भी भारी नुकसान हो रहा है। शिकायत के बावजूद राजस्व विभाग भी कार्रवाई नहीं कर रहा है। ग्रामीणों को आरोप है कि स्टोन क्रशर मालिक ने क्रशर स्थल से यमुना नदी तक अवैध रूप से उत्तराखंड राज्य की भूमि पर कब्जा करते हुए भारी वाहनों के लिए रोड बनाई है। इसके लिए राजस्व विभाग, वन विभाग और पर्यावरण विभाग से कोई एनओसी भी नहीं ली गई है।

अस्पताल में मरीजों को भी दिक्कत
स्टोन क्रशर के चलने से हालांकि अस्पताल नदी के दूसरी ओर है, लेकिन दूरी अधिक नहीं होने के कारण शोर होता है, जिससे अस्पताल में मरीजों को भी भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। इसको लेकर भी शिकायत दर्ज कराई गई थी, लेकिन एक्शन नहीं लिया गया। ग्रामीणों का कहना है कि गांव में भी स्टोन क्रशर की धूल पहुंच जाती है, जिससे बीमारी का खतरा बढ़ गया है। अगर कोई कार्रवाई नहीं होती है, तो आरपार की लड़ाई होगी।

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posted on : September 30, 2020 8:54 am
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