उत्ताखंड: VIDEO देखें और तय करें! इस पार्क में शहीदों का सम्मान या अपमान, आखिर कौन है जिम्मेदार?

देहरादून: शहीद किसी एक परिवार का नहीं, बल्कि पूरे देश का होता है। कोई जवान अपने प्राणों की कुर्बानी केवल खुद के लिए नहीं, बल्कि पूरे देश के लिए देता है। सीमा पर तैनात जवानों की बदौलत ही हम अपने घरों में सुरक्षित हैं। जब एक जवान सीमा पर पूरी रात बंदूक की नोक पर जागत रहता है। इस बात की गारंटी नहीं होती कि सुबह तक क्या होगा, तभी हम चैंन की नींद सो पाते हैं। आखिर शहीदों का अपमान क्यों?

शहीदों पर राजनीति भी होती है। पार्क बनाए जाते हैं, लेकिन क्या उन पार्कों में शहीदों का सम्मान हो रहा है या फिर अपमा? ऐसा हम इसलिए कह रहे हैं क्योंकि हम एक VIDEO के जरिए आपको देहरादून के एक पार्क के बारे में बताने जा रहे हैं। इस पार्क को बने ज्यादा समय नहीं हुआ है। लेकिन, इसको बनाने के लिए जो कामचलाऊ व्यवस्था की गई, वो अब दम तोड़ चुकी है।

VIDEO देखकर आपको नजर आएगा कि किसी तरह से शहीदों की तस्वीरें पार्क में लगाने के नाम पर बैनर छाप दिया गया। शहीदों के साथ विधायक विनोद चोमाली ने भी अपनी फोटो चमकाई, लेकिन फोटो छपने के बाद फिर दोबारा किसी ने उस पार्क को देखने तक की जहमत नहीं उठाई।

पार्क में लगे शहीदों के बैनर के साथ उनकी तस्वीरों के भी चीथड़े उड़े हुए हैं। यहां शहीदों का अपमान किया जा रहा है। पार्क के गेट टूट चुके हैं। पार्क में लगाई घास अब मिट्टी में तब्दील हो चुकी है। पार्क का निर्माण होने के बाद बनाने वालों ने फिर उसकी ओर मुड़कर नहीं देखा। सवाल यह है कि क्या यह पार्क शहीदों के अपमान के लिए बनाया गया? क्या शहीदों के नाम पर केवल बजट को ठिकाने लगाया जाना था?

100 मीटर की दूरी पर नगर निगम का कार्यालय भी है, लेकिन नगर निगम ने भी पार्क की ओर आज तक कभी नजरें नहीं दौड़ाई। आखिर इसके लिए कौन जिम्मेदार है? कौन है, जिसने शहीदों का अपमान किया? पार्क का निर्माण नियमों के अनुरूप हुआ है या नहीं? अगर नहीं हुआ तो निर्माण कराने वालों के खिलाफ कार्रवाई की जानी चाहिए।

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posted on : November 3, 2023 1:16 pm
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