उत्तराखंड : ग्रेड-पे मामले में निर्णायक लड़ाई की तैयारी, अपनों के सामने मोर्चा संभालेंगे जवान

देहरादून : 25 जुलाई को उत्तराखंड के इतिहास में नया पन्ना जुड़ने जा रहा है। ग्रेड-पे की मांग को लेकर पुलिसकर्मी भले ही अपनी ड्यूटी पर तैनात हैं। लेकिन, उनके परिजन ग्रेड-पे की मांग को लेकर पिछले कई दिनों से आंदोलन कर रहे हैं। अभी आंदोलन ऐसे मोड़ पर पहुंच गया है, जहां से केवल उत्तराखंड ही नहीं। बल्कि, उत्तराखंड के बाहर से भी समर्थन मिलने लगा है‌। 

इस आंदोलन को सोशल मीडिया से लेकर सामाजिक संगठन और राजनीतिक दलों का भी समर्थन मिला है। यह बात भले ही अलग है कि सरकार और सत्ता में बैठे लोग पुलिस कर्मियों को केवल धैर्य बनाए रखने का झुनझुना हर बार थमा दे रहे हैं। एक बात बहुत खास होने वाली है जो दिल को झकझोर देने वाली है।

मसला यह है कि पुलिसकर्मियों के परिजन ग्रेड-पे की मांग को लेकर सड़कों पर आंदोलन करेंगे और ड्यूटी पर तैनात पुलिस वाले अपने ही परिवार वालों के सामने लाठी लेकर खड़े होंगे। ऐसा वाक्या सामने आ भी चुका है। पिछले दिनों सेवा दल के लोगों ने पुलिस कर्मियों के पक्ष में रैली निकाली थी। उस रैली को रोकने के लिए पुलिस के जवान ही डटकर सामने खड़े हो गए थे।

उत्तराखंड पुलिस के जवान अपने ड्यूटी बड़ी शिद्दत और इमानदारी से कर रहे हैं। वो उन लोगों के सामने ही लाठी लेकर खड़े हो जाते हैं, जो उनके लिए सड़कों पर आंदोलन कर रहे हैं। सरकार कहती कि उनको फोर्स के अनुशासन का ध्यान रखना चाहिए। सवाल यह है कि इससे बड़ा अनुशासन का उदाहरण और क्या होगा कि पुलिस जवान अपने ही परिवार वालों पर लाठी चलाने के लिए तैयार हैं।

एक और विरोधाभासी और बड़ी बात यह है कि जिन पुलिसकर्मियों ने कोरोना काल में दिन-रात अपनी जान की परवाह किए बगैर लोगों की जानें बचाएं हों। लोगों को दवाई पहुंचाई हो। भूखों को खाना खिलाया हो। उखड़ती सांसों को ऑक्सीजन का सिलेंडर दिया हो। मौत के मुहाने पर खड़े लोगों को अस्पताल में बेड उपलब्ध कराया हो।

उन्हीं पुलिस वालों के एक दिन का वेतन कोरोना फंड में काटा दिया गया। सरकार को चाहिए था कि वह पुलिस कर्मियों को उनकी वेतन से 1 दिन का हिस्सा काटने के बजाय उनको एक्स्ट्रा पैसा देती और हौसला बढ़ाती। कोरोना काल में कई जवान शहीद भी हुए।

 ग्रेड-पे मामले को लेकर मंत्री समूह की एक समिति तो बनाई गई है। समिति ने बैठक भी की, लेकिन उसमें कोई फैसला नहीं हुआ। कैबिनेट मंत्री सुबोध उनियाल ने इतना जरूर कहा कि सरकार गंभीर है। लेकिन, सवाल यह है कि अगर सरकार अगर गंभीर है तो वह फैसला क्यों नहीं ले लेती ?

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posted on : July 24, 2021 8:45 pm
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