त्रिवेंद्र सरकार के कार्यकाल का साढ़े तीन साल पूरे हो गए हैं.
सरकार का सबसे बड़ा फैसला गैरसैंण को ग्रीष्मकालीन राजधानी घोषित.
- प्रदीप रावत (रवांल्टा)
देहरादून: त्रिवेंद्र सरकार के कार्यकाल का साढ़े तीन साल पूरे हो गए हैं। इन साढ़े तीन सालों को मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने बेमिसाल बताया है। यानी इनका कोई मुकाबला नहीं है। त्रिवेंद्र सरकार का सबसे बड़ा फैसला गैरसैंण को ग्रीष्मकालीन राजधानी घोषित करने को बताया गया है। सवाल यह है कि क्या गैरसैंण को राजधानी बनाने मात्र से आंदोलनकारियों को सपने पूरे हो जाएंगे? क्या वास्तविक उत्तराखंड का सपना पूरा हो पाएगा? या जमीन खरीदने तक भी सिमटकर रह जाएंगे ?
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सीएम ने यह भी दावा किया है कि चार धामों को व्यवस्थिति करने और यात्रा को सुगम बनाने के लिए चारधाम देवस्थान बोर्ड का गठन किया गया है। लेकिन, सरकार यह नहीं बता पाई कि अगर यह फैसला इतना ही सही है फिर तीर्थ पुरोहित इसका विरोध क्यों कर रहे हैं? केदारनाथ में प्रदर्शन पर सरकार को रोक क्यों लगानी पड़ रही है?
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त्रिवेंद्र रावत सरकार को जीरो टाॅलरेंस की नीति की सरकार कहा जा रहा है। क्या आपको भी लगता है कि जीरो टाॅलरेस नजर आ रहा है? जिस सरकार में बेरोजगार सड़कों पर हों, मौत को गले लगा रहे हों और मेयर की बिटिया को बैकडोर से नौकरी मिल रही हो…क्या यहीं जीरो टाॅलरेंस है? यह तो एक उदाहरण है।
साढ़े तीन साल पूरे होने पर खुद मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने वर्चुवल प्रेस कांफ्रेस की और इन तमाम उपलब्धियों को जनता के सामने रखा। मुख्यमंत्री का कहना है कि जो वादे उनकी सरकार ने जनता से किए थे। उसमें 85 फीसदी वादे पूरे हो गए हैं। अगर ऐसा है तो फिर लोग उनके हिस्से के कामों को इंतजार क्यों कर रहे हैं? क्या आपके क्षेत्र की घोषणाएं भी पूरी हो गई हैं? क्या आपको भी लगता है कि सीएम की 85 प्रतिशत घोषणाएं पूरी हो गई हैं?
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उन्होंने कहा कि उनके कार्यकाल में 7 लाख 12 हजार युवाआंे को विभिन्न माध्यमों से रोजगार मिला है। क्या आपको भी रोजगार मिला है? अगर उत्तराखं डमें 7 लाख लोगों को रोजगार मिला है, तो फिर ये सड़कों पर थाली और घंटी बजाने वाले क्या कहीं दूसरे राज्य से आए हैं? अगर रोजगार इतने लोगों को मिला गया है, तो राज्य के युवा पागलों की तरह क्यों धरना दे रहे हैं? अगर इतने लोगों को रोजगार मिल गया है तो राज्य में अब तक बेरोजगारी खत्म क्यों नहीं? बेरोजगारी बढ़ क्यों रही है?
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सीएम ने कहा कि 13 डिस्ट्रिक्ट, 13 न्यू डेस्टीनेशन के तहत प्रदेश में पर्यटन को बढ़ावा दिया जा रहा है। पिछले साढ़े तीन सालों में कोई एक ऐसा डेस्टिेनेशन तो सामने आता, जिस पर सालभर पर्यटक आ रहे हों। राज्य के युवाओं को रोजगार मिल रहा है। सीएम ने कहा कि प्रदेश में डबल इंजन सरकार का भी असर साफतौर से देखा जा सकता है। केंद्र सरकार के जो भी प्रोजेक्ट प्रदेश में चल रहे हैं, उन पर तेजी से काम चल रहा है।
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उन्होंने उपलब्धियों के साथ ही कोविड-19 महामारी के दौर में सरकार के लिए निर्णायों को भी उपब्धि के तौर पर पेश किया। उन्होंने कहा कि सरकार ने राज्य के हेल्थ सिस्टम को अब तक की सबसे मजबूर स्थिति में खड़ा कर दिया है। क्या आपको भी लगता है कि उत्तराखंड की स्वास्थ्य सेवाएं बेहतर हो गई हैं? अब पहाड़ के लोगों को इलाज के लिए देहरादून नहीं आना पड़ेगा। हल्द्वानी नहीं आना पड़ेगा। श्रीनगर नहीं आना पड़ेगा। अगर हां तो विकास हुआ है। अगर नहीं तो तय कर लीजिए कि कहीं आप ठगे तो नहीं जा रहे हैं?
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