नाम ही तो ‘महेश’ है, ‘महेश’ थोड़े हैं…?

महेश…। ये नाम इन दिनों उत्तराखंड में खासी चर्चाओं में है…। महेश की प्रीति…प्रीति से ऐसी लगी कि वो माया जाल में फंस गए। इतना तो साफ है कि उनको फंसाया नहीं गया। जनाब का नाम महेश है…वैसे उनका नाम ही तो महेश है वो खुद थोड़े महेश हैं। उनके जो मन में आए करते चले जाएं…। हां एक बात जरूर है चरित्र का काॅपीराइट रखने वाली पार्टी के सिपाही जरूर हैं और सत्ता के दमाद अलग से। सत्ता के सुल्तान भी चुप्पी साधे हुए हैं…कहते हैं पुलिस देख लेगी…सब जानते हैं, पुलिस क्या देखती है और क्या नहीं ? वैसे अगर पुलिस अपनी पर आ जाए…तो कुछ कर सकती है…।

 

सत्ता की हनक वैसे बड़ी काम की चीज होती है…। चाहे जिसके साथ जो कर लो…क्या मजाल किसी की जो जल्दी से हाथ डाल दे…? महेश बाबू…जनाब साउथ वाले महेश बाबू नहीं…उत्तराखंड वाले महेश बाबू…। कहते हैं मर जाऊंगा डीएनए टेस्ट नहीं कराऊंगा…। ऐसा मैंने बस सुना है…। वैसे भी वो सही जगह पर हैं…। काॅपीराइट वाली पार्टी में पीछे के 5-7 सालों में कुछ ज्यादा ही गंगा जल जैसा माहौल है। जिस भी पापी ने डुबकी लगाई…उसके सारे पाप धुल गए…। अब महेश बाबू तो अपने ही हैं…उनके पाप भी धुल ही जाएंगे…।

 

वैसे महेश बाबू इतनी आसानी से तो नहीं बचाने चाले…। किंग आॅफ सरकार नहीं सुनेंगे तो क्या हुआ…कानून का डंडा तो चल ही सकता है…। पुलिसिया डंडा नहीं भी चलेगा…तब भी गम नहीं…। वैसे आज पुलिस बाबू ने महेश बाबू को बुलाया था…उनसे पूछा क्या से तो बाद में पता चल ही जाएगी…। पूछा भी या फिर आवभगत कर निपटा दिया….! वैसे महेश बाबू आज तक नैनीताल घूमने जाते रहेंगे होंगे…इस बार कोर्ट के चक्कर भी काट ही लेंगे। बच नहीं पाओगे महेश बाबू…चाहे जोर कितना ही लगा लो…। सवाल ये भी है कि लंगोट कच्ची नहीं है तो फिर डीएनए का डर क्यों ?

 

आज सुना…किंग ऑफ सरकार को…। कह रहे थे मामला पुलिस में है…। वो तो आपकी ही है ना…। कमाल देखिये अब तक बेचारी नहीं…पर अबला जरूर है। उनकी तरफ से मुकदमा ही दर्ज नहीं हुआ…। लगता है…कानून का टॉलरेंस जीरो होकर रहेगा। उदाहरण बहुत हैं मार और मात खाने के…। सरकार कानून से ही तो चल रही है…। खुश मत होइए यहां पार्टी हाईकमान की नहीं कानून के हाईकमान की ही चलेगी…।

 

एक और बात मुन्ना कह रहे थे…। माफ कीजिएगा…मुन्ना सिंह चैहान। बेचारे प्रवक्ता हैं…। कुछ तो बकना ही होगा…। मामला कुछ भी हो…पर है पक्का। आपके कहने-सुनने से कुछ होने वाला नहीं है…। अपनी बचा सकते हैं तो बचा लिजिए। एक बात यह भी है कि विपक्ष फफकारे मारने वाला कोबरा नहीं बन पा रहा है….तो कमसे कम मरा हुआ सांप ही हो जाता…। मरते हुए फड़ड़ाता तो रहता…। खैर…’महेश’…ही तो हैं…। कोई भगवान महेश थोड़े ही हैं। आज नहीं तो कल…सच सामने आ ही जाएगा…।

 

  • प्रदीप रावत (रवांल्टा)
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posted on : August 19, 2020 8:23 am
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