उत्तराखंड : उद्यान घोटाले में BJP विधायक और भाई का भी नाम, कसेगा CBI का शिकंजा!

देहरादून: हाईकोर्ट के आदेश पर उद्यान विभाग के घोटाले की की जांच CBI से  कराए जाने के बाद मामले में राजनीति भी गरमा गई है। इस मामले में एक और बड़ा खुलासा हुआ है। हाईकोर्ट के फैसले में BJP के विधायक और उनके भाई का नाम साफ तौर पर लिखा गया है। इससे कांग्रेस ने सीधी तौर पर BJP को निशाने पर लिया है।

नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि उच्च न्यायालय की ओर से सालों से चल रहे उद्यान घोटालों की जांच CBI को देने से सिद्ध हो गया है कि उत्तराखण्ड में भ्रष्टाचार की गंगा में सभी डुबकी लगा रहे हैं। नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि इस मामले में उच्च न्यायालय के आदेश में सरकार और शासन के सभी स्तरों की संदिग्ध भूमिका का उल्लेख किया है।

 

उच्च न्यायालय के आदेश में रानीखेत विधायक अपने कथित बगीचे में फर्जी पेड़ लगाने का प्रमाण पत्र निर्गत कराने से सिद्ध होता है कि उद्यान घोटालों में केवल निदेशक बबेजा ही लिप्त नहीं हैं, बल्कि प्रदेश सरकार और BJP के विधायक और नेता भी शामिल हैं। इस आदेश में नाम आने के बाद उन्होंने उद्यान मंत्री और रानीखेत विधायक से नैतिकता के आधार पर इस्तीफा मांगा है।

यशपाल आर्य ने आरोप लगाया कि, राज्य में हो रहे हर भ्रष्टाचार में राज्य सरकार भी हिस्सेदार है इसलिए राज्य के अधिकारी व जांच एजेंसियां भ्रष्ट अधिकारियों को संरक्षण देते हुए उनके विरुद्ध सही जांच नहीं कर रही हैं । उन्होंने साफ किया कि , राज्य के अधिकारी और SIT जांच में नकारा सिद्ध हुए हैं इसलिए इस साल उच्च न्यायालय ने उद्यान घोटाले की जांच सहित उत्तराखण्ड से संबधित तीन घोटालों की जांच CBI को सोंपी हैं।

नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि, हिमाचल में विजीलैंस जांच में दोषी अधिकारी बाबेजा को उत्तराखण्ड में उद्यान जैसे महत्वपूर्ण विभाग का निदेशक बना कर केवल इसलिए लाया गया कि उसे घोटालों को करने में महारत हासिल थी।

उत्तराखंड उद्यान एवं खाद्य प्रसंस्करण विभाग में निदेशक डॉ. हरमिंदर सिंह बवेजा ने उत्तराखण्ड फल पौधशाला (विनिमय) कानून – 2019 का उल्लंघन करते हुए पूरे प्रदेश के लिए शीतकालीन पौधों के आपूर्ति हेतु उत्तरकाशी की एक ऐसी फर्जी नर्सरी ‘‘ अनिका ट्रेडर्स एवं पौधशाला’’ के नाम कर दिया जिसके पास राज्य में कहीं जमीन ही नहीं थी।

शिकायत मिलने पर उत्तरकाशी के जिला अधिकारी ने मामले की जांच कराई तो मामले से जुड़ी सभी शिकायतें सही पाई गई और जांच रिपोर्ट शासन को भेज दी थी। क्योंकि पौध आपूर्ति का यह कार्य पूरे राज्य के लिए दिया जा रहा था, तो भ्रष्टाचार केवल जिला उद्यान अधिकारी उत्तरकाशी के हाथों से नहीं हो रहा था।

भ्रष्टाचार की इस पटकथा के असली लेखक उद्यान विभाग के निदेशक और उससे भी ऊपर का कोई और था जो अधिकारियों से बेखौफ होकर इस तरह का करोड़ों रुपये का गबन किया जा रहा था। इस मामले में जिला अधिकारी उत्तरकाशी की रिपोर्ट के बाद भी सरकार ने न कोई जांच बिठाई न कार्रवाई की।

यशपाल आर्य ने कहा कि इससे पहले भी बबेजा ने अपनी चहेती नर्सरियों को फायदा पंहुचाने के लिए कीवी से लेकर कही पौधों कही फल व सब्जी प्रजाती के पौधों के मूल्य नियमों और परंपरा के विपरीत कई गुना बढ़ाए।

निदेशक ने पिछले विधानसभा चुनाव से पहले अन्र्तराष्ट्रीय सेमीनारों के नाम पर अपनी पत्नी और कुछ चहेतों को उत्तराखण्ड बुलाकर करोड़ों रुपए डकारे। नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि इन सभी मामलों को विपक्ष ने सभी जगह उठाया परंतु सरकार ने ढिलाई दिखाते हुए कोई जांच नहीं की। मजबूरन कुछ समाजसेवी और बागवान उच्च न्यायालय की शरण में गए।

यशपाल आर्य ने आरोप लगाया कि उच्च न्यायालय ने मामले की गंभीरता को देखते हुए पहले ही उद्यान से जुड़े सभी घपलों की जांच CBI को देने का प्रस्ताव रखा था। लेकिन, सरकार ने  उससे पहले ही राज्य पुलिस की SIT की जांच का नोटिफिकेशन जारी कर दिया। राज्य सरकार ने यह कदम भी भ्रष्ट नेताओं और अधिकारियों को बचाने के लिए लिया गया था।

नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि उच्च न्यायालय के CBI जांच के आदेश ने राज्य सरकार के ‘‘जीरो करप्शन माडल’’ की हकीकत सामने ला दी है। निर्णय की हर पंक्ति यह सिद्ध कर रही है कि, प्रदेश की भाजपा सरकार और उसके अधिकारी भ्रष्टाचार में आकंठ डूबे हुए हैं।

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posted on : October 27, 2023 7:19 pm
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