टिहरी: जम्मू-कश्मीर के पुंछ में शहीद हुए देवभूमि और वीरभूमि के दो योद्धाओं के शव आज पहुंच गए हैं। टिहरी जिले के विक्रम सिंह डेढ़ महीने पहले ही छुट्टी काटकर वापस लौट ड्यूटी पर लौटे थे। राइफलमैन विक्रम सिंह नेगी हर रोज अपनी मां से बात करते थे। गुरुवार को भी उन्होंने अपनी मांग से बात की थी और कहा था कि वो 22 अक्टूबर को घर आएंगे। किसका पता था कि वो घर आएंगे, लेकिन तिरंगे में लिपटकर।
गजा तहसील ग्राम पंचायत खडवाल गांव के विमाण गांव निवासी साब सिंह नेगी के इकलौते बेटे विक्रम सिंह पांच साल पहले सेना में भर्ती हुए थे। तीन साल पहले ही विक्रम की शादी हुई थी। डेढ़ माह पहले ही विक्रम कुछ दिनों की छुट्टी बिताकर ड्यूटी पर लौटे थे। रोज की तरह उन्होंने शाम करीब छह बजे डेढ़ साल के बेटे प्रियांक, पत्नी पार्वती और मां से व्हाट्सअप कॉल पर बात की थी।
विक्रम ने वादा किया था कि 22 अक्तूबर को पूजा के लिए वह घर पहुंच जाएंगे। उन्होंने मां और पत्नी से पूजा की तैयारी करने को भी कहा। परिवार में खुशियों का माहौल था। पूजा की तैसारी की जा रही थी। लेकिन, शुक्रवार सुबह करीब 11 बजे यूनिट से एक फोन कॉल आई, जिसने सारी खुशियां मातम में बदल दीं।
परिवार को विक्रम के शहीद होने की खबर मिली। पति के शहीद होने की खबर सुनते ही पत्नी पार्वती बेहोश हो गई। शहीद की मां और बुजुर्ग दादी भी अपने लाडले की याद में दिनभर रोती रहीं। वो बस यही कहती रही कि उनका लाडला तो पूजा के लिए आने वाला था। उनका बेटा अब लौट तो आया है, लेकिन वो तिरंगे में लिपटकर आ रहा है। आने के बाद उनसे हमेशा के लिए विदा हो जाएगा।