कोटद्वार : एक दिन पहले खोह नदी में दो बच्चों की डूबने से मौत हो गई। ये मौत उस जगह पर हुई, जिस जगह पर पानी इतना नहीं होता कि घुटनों तक आ जाए। सवाल ये है कि फिर दो मासूम बच्चों की डूबने से मौत कैसे हुई ? इस सवाल का जवाब साफ है। लेकिन, सवाल यह है कि जिम्मेदारी कौन तय करेगा ? क्या इस मामले में जिम्मेदारों के खिलाफ हत्या का मुकदमा दर्ज नहीं होना चाहिए ?
नदी का सीना छलनी कर दिया
कोटद्वार स्टेडियम के पास खोह नदी में खनन माफिया ने नदी का सीना छलनी कर दिया। खोह के सीने में गहरे गड्ढे खोद दिए गए…। इतने गहरे के इन में मासूम बच्चे तो क्या कोई ट्रक या बस तक समा सकती है। सवाल यह है कि माफिया ने जिस बेरहमी से गड्ढे खोदे…फिर उनको किसी ने रोका क्यों नहीं ? किसी जिम्मेदार अधिकारी ने एक्शन क्यों नहीं लिया ? क्या माफिया इतना ताकतवर है कि उससे टकराने की हिम्मत सिस्टम में नहीं ? या फिर सत्ता की हनक और कुर्सी से नजदीकियों के डर से जिम्मेदार साइलेंट हैं ?
गहरे गड्ढों में पानी में मृत मिले
कुष्ठ आश्रम काशीरामपुर तल्ला निवासी फुरकान ने बताया कि उसका छह साल का बेटा अरशद संडे को करीब दो बजे घर के पास खेल रहा था। उसके साथ पास ही रहने वाले अहसान का सात साल का बेटा गुलशेर भी था। दोनों बच्चे जब काफी देर तक घर नहीं आए तो खोज शुरू कर दी। परिवार वाले अपने मासूमों के जिंदा होने की आस में नदी में भटकते रहे…। दर-दर भटके वो कहीं नहीं मिले। अनहोनी की आशंका ने उनको माफिया के खोदे मौत के गड्ढों तक पहुंचाया…। उनकी आशंका सही निकली…दोनों मासूम खनन के लिए खादे गए गहरे गड्ढों में पानी में मृत मिले…।
15 से 20 फीट तक गहरे गड्ढे
गड्ढे से बच्चों को बाहर निकाला…। रोते-बिलखते परिजन बच्चों को बेस अस्पताल ले गए…। डाॅक्टरों ने अच्छी तरह देखा, लेकिन उम्मीद बची नहीं थी। दोनों की मौत हो चुकी थी। सवाल फिर से वही है कि कई बार कहने के बावजूद ना तो खननकारी चुप रहे और ना प्रशासन ने उनको चुप कराया…। रीवर ट्रेनिंग के नाम पर नदियों को 15 से 20 फीट तक गहरे गड्ढों में तब्दील कर दिया गया। लोगों को इस बात का खतरा पहले से ही नजर आ रहा था। हादसों की आशंका भी थी…। लेकिन, ना तो माफिया रुके और ना उनको किसी ने रोकने की हिम्मत जुटाई…।
- प्रदीप रावत (रवांल्टा)