उत्तराखंड: कार्रवाई की मांग होती रही, प्रशासन आंख-कान मूंदे रहा, आवाज उठाने वालों पर कर दिए थे झूठे मुकदमे

कोटद्वार : उत्तराखंड विकास पार्टी ने सुखरो नदी में पुल की नींव हिल जाने से पुल पर आवाजाही बंद करने को दुर्भाग्यपूर्ण बताया। उन्होंने कहा कि सिंचाई विभाग द्वारा सन 2020 में ही लगातार अवैध खनन की अख्यायें दी थी।

मगर भाजपा के तत्कालीन मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के खासमखास इस कदर प्रशासन पर हावी थे कि प्रशासन ने अवैध खनन करने वाले भाजपा के पदाधिकारियों के खिलाफ कार्यवाही करने के बजाय अवैध खनन के खिलाफ आवाज उठाने वालों पर ही झूठे मुकदमे दर्ज करवा दिए।

मुजीब नैथानी ने कहा कि आज अवैध खननकारी भाजपा में प्रदेशस्तरीय पदों पर बने हुए हैं। और कोटद्वार भाभर की जनता को अब समझ में आ रहा है कि अवैध खनन के दुष्परिणाम क्या होते हैं। उन्होंने कहा कि इसके लिए सीधेतौर पर तत्कालीन सरकार और के मुखिया ही जिम्मेदार हैं।

उत्तराखंड में खनन माफिया सरकार और अधिकारियों में कितनी गहरी पैठ रखते हैं, इसका अंदाजा इस बात से लगा सकते हैं कि माफिया नदियों में पोकलैंड और जेसीबी तक से खुदाई करते हैं।

ऐसा नहीं है कि इन माफिया के खिलाफ लोगों ने शिकायत नहीं की। शिकायतें भी की गई। लोगों ने आवाज भी उठाई, लेकिन सत्ता में अपने मठाधीसों पर मजबूत पकड़ रखने वाले माफिया को अभयदान मिल जाता है, जिसका खामियाजा लोगों को भुगतना पड़ रहा है।

कुछ ऐसा ही कोटद्वार में भी सामने आया है। यहां आखिरी वही हुआ, जिसकी लंबे समय से आशंका जाहिर की जा रही थी। सवाल भी उठ रहे थे, लेकिन अधिकारी और सरकार को कोई फर्क नहीं पड़ा।

कोटद्वार क्षेत्र में बीते वर्ष रिवर ट्रेनिंग के नाम पर हुए खनन की भेंट सुखरों नदी का पुल चढ़ गया। पर्वतीय क्षेत्रों में बीती रात हुई भारी बारिश के दौरान सुखरो नदी उफान पर आ गई।

इस दौरान शुक्रवार सुबह करीब 6 बजे सुखरो नदी पर बने पुल का एक पिलर धंसने लगा जिससे पुल क्षतिग्रस्त हो गया। प्रशासन ने पुल पर भारी वाहनों की आवाजाही रुकवा दी। बीते वर्ष कोटद्वार क्षेत्र में जहां राजस्व विभाग की ओर से सुखरों नदी में रीवर ट्रेनिग के पट्टे जारी किए गए।

वहीं, मालन व सुखरो नदियों में वन क्षेत्र के अंतर्गत रीवर चौनेलाइजेशन के नाम पर खनन किया गया। वन महकमे के अधिकारी वन भूमि पर धड़ल्ले से चल रहे खनन को देखकर भी अनजान बने रहे।

रिवर ट्रेनिंग के नाम पर चल रहा खनन कार्य तो बंद हो गया। लेकिन, क्षेत्र के नदियों में आज भी बदस्तूर अवैध खनन जारी है। जिस सुखरो नदी पर बना पुल क्षतिग्रस्त हुआ है, वहां बीती रात जेसीबी मशीन लगाकर खनन किया जा रहा था। खनन कार्यों ने प्रशासन की कथित मिलीभगत से जहां पुल की बुनियाद तक खोद दी, वहीं पुल से लगातार ओवर लोडेड खनिज से लदे डंपर गुजरते रहे।

लोक निर्माण विभाग की दुगड्डा इकाई ने इस संबंध में कई मर्तबा जिलाधिकारी व आयुक्त को पत्र भेज पुल से ओवरलोडेड डंपरों की आवाजाही रोकने व पुल के आसपास अवैध खनन पर रोक लगाने की भी मांग की।

लेकिन, प्रशासन ने इस ओर कोई ध्यान नहीं दिया। प्रशासन की इस अनदेखी का ही परिणाम रहा कि 2010 में जिस पुल का लोकार्पण किया गया था, वह क्षतिग्रस्त हो गया है।

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posted on : September 2, 2022 8:26 pm
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