गजब! बेरोजगारी, स्वास्थ्य और शिक्षा के मुद्दे गायब, जातिवाद और क्षेत्रवाद पर बहस

 

विधानसभा चुनाव प्रचार चरम पर है। चुनाव मुद्दों पर होता है। लेकिन, इस चुनाव में मुद्दे कहीं गायब से हो गए हैं भाषणों में भले ही नेताओं के मुद्दों की बातें हैं। लेकिन, डोर-टू-डोर प्रचार और बयानों में स्थानीय मुद्दे गायब हो गए। भाजपा राम मंदिर बनाने और धारा 370 हटाने को मुद्दा बना रही है। कांग्रेस महंगाई, बेरोजगारी और सेना से जुड़े मसलों को अपना मुद्दा बना रही है।

विधानसभा क्षेत्रों में मुद्दों पर चुनाव से पहले जरूर चर्चा होती है। लेकिन, जैसे ही चुनाव आया, मुद्दे कहीं गुम हो गए। यमुनोत्री विधानसभा क्षेत्र सबसे ज्यादा चर्चा में है। उसका सबसे बड़ा कारण 70 विधानसभा क्षेत्रों में सबसे युवा प्रत्याशी जिला पंचायत अध्यक्ष दीपक बिजल्वाण हैं।

 दीपक को जिला पंचायत अध्यक्ष पद से सरकार ने चुनाव से ठीक पहले वित्तीय अनियमितताओं के आरोप में पद से हटा दिया था। अब हाईकोर्ट ने सरकार के आदेश को पलट दिया, जिसके बाद दीपक फिर से जिला पंचायत अध्यक्ष की कुर्सी पर काबिज हो गए हैं।

यमुनोत्री विधानसभा क्षेत्र में स्वास्थ्य, शिक्षा और बेरोजगारी बड़े मुद्दे हैं। लेकिन, चुनाव प्रचार के दौरान इनकी कहीं बात नहीं हो रही है। यमुनोत्री विधानसभा का एक सबसे बड़ा मुद्दा यमुनोत्री जिला निर्माण का है। जिसके लिए सालों से लोग आंदोलन भी कर रहे हैं।यमुनोत्री जिला निर्माण समिति लगातार जिला निर्माण की मांग कर रही है।

चुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी दीपक बिजल्वाण को छोड़कर ना तो भाजपा ने इसे मुद्दा बनाया और ना ही निर्दलीय प्रत्याशी संजय डोभाल ने इस पर कोई बयान दिया है। यमुनोत्री विधानसभा के चुनाव में जाति और क्षेत्र पर खूब बहस चल रही है। सवाल यह है कि जहां हम समरसता और एकता की बात करते हैं। समाज में बराबरी की बात करते हैं। वहीं, यमुनोत्री विधानसभा क्षेत्र में जातिवाद का जहर घोला जा रहा है।

जातिवाद के जहर को समाज के लिए कोढ़ माना गया है। बावजूद इसके यमुनोत्री विधानसभा क्षेत्र में सबसे ज्यादा चर्चा जातिवाद और क्षेत्रवाद की ही है। इन चुनावों में विकास के मुद्दे गायब से हो गए हैं। भाजपा के केदार सिंह रावत जनसंपर्क के दौरान राम मंदिर और धारा 370 का खूब प्रचार कर रहे हैं।

चुनाव से पहले उनका दावा था कि उन्होंने हर गांव को सड़क से जोड़ा है। लेकिन, अब जब चुनाव मैदान में अपने किए कार्यों को बनाने की बारी आई तो राम मंदिर का राग अलापते नजर आ रहे हैं। दीपक का दावा है कि उन्होंने जिला पंचायत अध्यक्ष रहते हुए विकास कार्य किए और आगे भी विकास करेंगे। हालांकि, उन पर सवाल भी उठते रहे हैं।

उनके खिलाफ जांच भी हुई, लेकिन उनको कमिश्नर जांच में क्लीनचिट मिल गई थी। उसके बावजूद, सरकार ने उनको पद से हटा दिया। फिलहाल वो बहार हो चुके हैं। उन्होंने अपने नामांकन के दिन दावा किया कि विधानसभा में पहुंचते ही सबसे पहले यमुनोत्री जिला निर्माण की आवाज उठाएंगे और जिला निर्माण की दिशा में जो भी जिला निर्माण आंदोलन समिति कहेगी, उसके अनुसार काम किया जाएगा।

इधर, 2017 में कांग्रेस के प्रत्याशी रहे संजय डोभाल टिकट नहीं मिलने से नाराज हो गए और निर्दलीय मैदान में उतर गए। पार्टी छोड़ते वक्त उनका दावा था कि भ्रष्टाचार के मुद्दे को लेकर चुनावी मैदान में जाएंगे। लेकिन, जैसे ही चुनाव आया भ्रष्टाचार का मुद्दा गायब हो गया।

डोभाल भावनात्मक रूप से चुनाव में अपने लिए वोटों को लुभाने में जुटे हुए हैं। कुल मिलाकर आधुनिक भारत के जिस सपने को हम बन रहे हैं। अपने क्षेत्र के विकास के लिए जनता के सामने नेताओं के रूप में जो विकल्प हैं। उन विकल्पों की क्या प्राथमिकताएं हैं। वह सब पूरी तरह साफ हो चुकी हैं।

शिक्षा, स्वास्थ्य, रोजगार के मुद्दे गायब हैं और समाज के लिए कोढ़ कहे जाने वाले जातिवाद और क्षेत्रवाद के मुद्दे हावी हैं। फैसला जनता को करना है कि उन्हें क्या करना है। चुनाव केवल नेता का नहीं, जनता की प्राथमिकताओं का भी है।

-प्रदीप रावत (रवांल्टा)

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posted on : January 30, 2022 9:12 pm
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