उत्तराखंड: ये कूड़े वाले गेहूं कौन खाएगा सरकार ?

देहरादून: सरकारी सस्ते गल्ले की दुकानों पर गरीबों को दिए जाने वाले राशन को लेकर सरकार भले ही कितने ही दावे क्यों ना करे, लेकिन जो राशन लोगों को दिया जा रहा है। उसमें से गेहूं-चावल तो दूर की बात, चीनी भी खाने लायक नहीं है। इसकी शिकायत कोई और नहीं। बल्कि, खुद राशन डीलर कर रहे हैं। बावजूद, उनकी बात पर कोई कार्रवाई नहीं हो रही है।

सरकारी गल्ले की दुकानों में गोदामों से घटिया किस्म गेहूं, चावल और चीनी भेजी जा रही है। कई दुकानों पर चावल ऐसा भेजा जा रहा है, जो खाने लायक भी नहीं है। गेेहूं भी बारीक और काला पड़ गया है, तो चीनी भी गीली है। राशन डीलरों का कहना है कि, अगर अफसरों को लगता है कि, ये राशन अच्छा है तो वह खुद इसे खाकर दिखाएं।

राशन डीलरों ने सितंबर महीने का राशन गोदाम से उठाना शुरू कर दिया है। लेकिन, इसमें जो चावल आया है, उसने राशन डीलरों की चिंता बढ़ा दी है। उनका आरोप है कि चावल काफी खराब है। अब लोग दुकान में चावल लेने आएंगे, तो उन्हें यह चावल कैसे दिया जा सकता है। अगस्त महीने में जो राशन लोगों को दिया जा रहा है, उसकी गुणवत्ता तो इतनी घटिया बताई जा रही है कि कई लोगों ने राशन लेने से ही मना कर दिया।

उत्तराखंड सरकारी सस्ता गल्ला विक्रेता परिषद के अध्यक्ष जितेंद्र गुप्ता कहते हैं कि खराब चावल डीलरों के यहां कोई पहली बार नहीं आया है। पहले भी ऐसा होता आया है। उन्होंने बताया कि, उनकी दुकान में जो चावल आया है, वह खाने योग्य नहीं है। गेहूं की क्वालिटी भी घटिया है। चीनी भी गीली है। कहा कि डीएसओ से भी शिकायत की, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई है।

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posted on : September 3, 2021 5:27 pm
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