देहरादून: 2022 विधानसभा चुनावी रण आते ही चुनावी गुणा-भाग भी शुरू हो गया है। राजनीतिक दलों की रणनीतियां धरातल पर नजर आने लगी हैं। आज यूकेडी के टिकट पर और निर्दलीय चुनाव जीतने वाले विधायक प्रीतम सिंह पंवार भाजपा में शामिल हो गए हैं।
चुनाव से पहले कुनबा बढ़ाने का सिलसिला भी इसके साथ शुरू हो गया है। प्रीतम पंवार के भाजपा में जाने के बाद उनके राजनीतिक ठिकाने की भी चर्चाएं शुरू हो गई हैं।
उनके भाजपा में जाने से यमुनोत्री विधानसभा की लड़ाई भी दिलचस्प हो गई है। अब यह माना जा रहा है कि प्रीतम सिंह पंवार को यमुनोत्री विधानसभा सीट से टिकट नहीं मिलेगा।
हालांकि, राजनीति में तब तक सही-सही आंकलन कर पाना थोड़ा कठिन होता है, जब तक कोई फैसला ले नहीं लिया जाता। माना जा रहा है कि प्रीतम पंवार धनोल्टी या किसी अन्य सीट से ताल ठोकेंगे।
फिलहाल कुछ भी साफ नहीं है। चुनावों का आधिकारिक ऐलान होने के बाद ही असल रणनीति पता चल पाएगी। प्रीतम पंवार 2002 के बाद 2012 में यमुनोत्री से दोबारा यूकेडी से चुनाव जीते थे।
कांग्रेस सरकार में विजय बहुगुणा और हरीश रावत सरकार में कैबिनेट मंत्री रहे। 2017 विधानसभा चुनाव में धनोल्टी विधानसभा से निर्दलीय चुनाव जीतकर आए।
मोदी लहर में भी चुनाव जीतना उनकी राजनीतिक समझ और जनता के बीच पैठ का अंदाजा लगाया जा सकता है। इस बार उनकी तैयारी यमुनोत्री विधानसभा से चुनाव लड़ने की थी।
लेकिन, वहां केदार सिंह रावत की मजबूत मौजूदगी और दीपक बिजलवाण की एंट्री से उनका चुनावी गणित बिगड़ता नजर आ रहा था। ऐसे में उन्होंने भाजपा ज्वाइन करने का फैसला लिया।
प्रीतम पंवार ने केदार सिंह रावत को चुनावी मैदान में हराया था, लेकिन अब दोनों एक ही पार्टी में हैं। केेदार रावत को जीत का अब भी मजबूत दावेदार माना जा रहा है।
लेकिन, अगर प्रीमत भी यमुनोत्री से ही टिकट मांगते हैं, तो पार्टी के सामने कुछ दिक्कतें जरूर खड़े हो सकती हैं। एक दूसरा समीकरण यह भी है कि प्रीमत के भाजपा में आने से दीपक बिजल्वाण को लाभ मिलता नजर आ रहा है।
उसका बड़ा कारण यह है कि दीपक बिजल्वाण को रवांई घाटी से वोट मिलेंगे ही। उसके लिए लगातार प्रयास भी कर रहे हैं। तमाम आरोपों के बाद भी उनकी छवि को बहुत ज्यादा नुकसान नहीं हुआ है।
दीपक का पूरा ध्यान यमुनोत्री विधानसभा में क्षेत्र में आने वाले गंगा घाटी और टिहरी विधानसभा से लगे क्षेत्र पर है। इस क्षेत्र में लगातार काम भी कर रहे हैं। माना जा रहा है कि उन्होंने यहां अपना मजबूत जनाधार भी तैयार कर लिया है।
कांग्रेस का यमुनोत्री विधानसभा में केदार सिंह रावत के रहते मजबूत पकड़ थी। हालांकि, वो चुनाव हारे भी थी, लेकिन उन्होंने कांग्रेस में रहते और बीजेपी में आने के बाद फिर से जीत हासिल की थी। उनके बीजेपी में जाने के बाद कांग्रेस ने संजय डोभाल को मैदान में उतारा था, संजय डोभाल ने टक्कर तो दी, लेकिन जीत हासिल नहीं कर सके। कांग्रेस के पास दूसरा कोई विकल्प भी फिलहाल नजर नहीं आ रहा है।
कुल मिलाकर देखा जाए तो इस ताजा घटनाक्रम से दीपक बिजल्वाण को लाभ मिलता नजर आ रहा है। दीपक अगर यमुना घाटी में भाजपा-कांग्रेस की लड़ाई में कुछ लाभ उठा सकते हैं, तो गंगा घाटी से लीड लेकर जीत भी हासिल कर सकते हैं। हालांकि यह फिलहाल बहुत जल्दबाजी है। लेकिन, अभी जो समीकरण हैं, वो इसी ओर इशारा कर रहे हैं।
-प्रदीप रावत (रवांल्टा)