कंफ्यूजन : बधाई ‘DM’ को मिलनी चाहिए थी और मिली विधायक को…ये तो नाइंसाफी हुई ना ?

बीजेपी कंफ्यूज या डिस्बैलेंस…। 3 दिन पहले अधिकारियों के ट्रांसफर हुए…। बधाई उन अधिकारियों को मिल चाहिए थी और मिली भाजपा के विधायक राजेश शुक्ला को…। ये तो नाइंसाफी हुई ना ? आप ही बताइये…। अगर नहीं हुई तो कैसे…। ऊधमसिंह नगर के डीएम डाॅ. नीरज खैरवाल पर आज तक भ्रष्टाचार का एक भी अरोप नहीं लगा…। विधायक को कुछ कह दिया वो अलग बात है…। बात उसमें भी कुछ खास थी…तो कहता तो बनता ही था। उनको सीएम ने अपना अपर सचिव बना लिया। ऊर्जा निगम का एमडी बने वो अलग…। अब साबित करो…सजा मिला या इनाम…। वैसे भी जिले का कार्यकाल पूरा हो चुका था…।

 

जिन आईएएस अफसर रंजना राजगुरू का ऊधमसिंह नगर का जिलाअधिकारी का बनाया…। उनके लिए भी वो किसी इनाम से कम नहीं है। बागेश्वर जैसे छोटे जिले से सीधे यूएस नगर पहुंच गईंं…। इन पर भाजपा के एक कार्यकर्ता के सम्मान में खड़े नहीं होने का आरोप था…। उत्तरकाशी के डीएम आशीष चैहान…इनका कार्यकाल पूरा हो चुका था। ना विवाद ना आरोप ना कोई बड़ी उपलब्धि…। सीणे यूकाडा की जिम्मेदारी मिली…। इनको भी इनाम ही मिला…। ऐसे ही तमाम दूसरे अधिकारी भी हैं…जिनको सरकार ने इनाम दिया।

 

चलो उनके बारे में भी कुछ बता ही देते हैं…। चंद्रेश कुमार एनएच-74 मामले में घोटालों के आरोप लगे…। केवल आरोप नहीं…सस्पेंड भी हुए। उनको सरकार ने पहले शासन में महत्वपूर्ण जिम्मेदारी दी…अब क्लीन चिट भी दे दी…। एक और आईएएस अधिकारी पंकज कुमार पांडे…इनको भी सीएम ने अपने स्वास्थ्य विभाग की जिम्मेदारी से नवाजा…। अब आप तय करें इनको इनाम मिला या सजा…।

 

अब इनाम और सजा की कहानी की ओर चलते हैं…। ऊधमसिंह नगर के डीएम को बदलने के बाद भाजपा के नेताओं का बयान आ रहा है कि सरकार ने सजा दी है…काम नहीं करने वाले अधिकारियों को। भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष ने तो ये तक कह डाला कि जो अधिकारी काम नहीं कर रहे थे…उनको सबक सिखाया है। सीएम ने बेहद कड़ा कदम उठाया है…। ऐसे कड़े कदम ना ही उठाए जाएं…तो ठीक रहेगा। भगवान करे फिर ऐसे कड़े कदम ना उठें…वरना तो आप जानते ही हैं…।

 

इन कड़े कदमों के चक्कर में भाजपा के नेता तो कंफ्यूज हो ही गए। आपकी और हमारी बारी भी जल्द कंफ्यूज होने की आ जाएगी। अगर कंफ्यूज नहीं होना चाहते तो…संभलकर रहें…। हालांकि बीजेपी नेता कंफ्यूज हैं या उनका कुछ बैलेंस ,डिस्बैलेंस हो गया है। वैसे नेतागिरी भी अजब-गजब है…। कब कौन सा नेता क्या रंग दिखा देत…कुछ समझ नहीं आता…। गिरगिट से ज्यादा रंग बदलू अगर दुनिया में कोई दूसरा परजीवी होता है…तो वो होते हैं महान नेता जी…। धन्य है ये नेता प्रजाति…।
जय श्री नाम…जय-जय सिया-राम

…प्रदीप रावत(रवांल्टा)

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posted on : August 2, 2020 9:49 am
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