मोरी: उत्तरकाशी जिले के मोरी विकासखंड के फिताड़ी गांव के 12 लोगों के पता होने की खबर सामने आई थी। उसके बाद एसडीआरएफ की टीमों को रवाना किया गया। अब तक जो जानकारी मिल पाई है। उसके अनुसार बुग्याल में जिस व्यक्ति की डेड बॉडी गांव के लोग गए थे, उस डेड बॉडी को लेकर एसडीआरएफ की टीमें वापस लौट रही हैं। रास्त बेहद खतरनाम होने के साथ ही पैदल है। ऐसे में समय ज्यादा लग रहा है।
जानकारी के अनुसार भितरी गांव निवासी भेड़पालक विरस्तू की फिताड़ी के बुग्यालों में मौत की सूचना पर उसका शव लेने गये एक दर्जन ग्रामीणों के लापता होने की सूचना है। अनहोनी की आशंका को देखते हुए SDRF और राजस्व विभाग की टीम लापता ग्रामीणों की तलाश में रवाना हो गयी है। जानकारी के अनुसार बुग्याल क्षेत्र गांव से करीब 60 किलोमीटर दूर बताया गया है।
भेड़पालक फिताड़ी के बुग्यालों में भेड़, बकरियां चराने गया था। तीन दिन पहले हुई बारिश में भीगने के कारण उसकी तबियत खराब हो गई, जिससे उसकी मौत हो गयी। साथियों ने कई किलोमीटर का पैदल सफर तय कर घटना की सूचना गांव तक पहुंचाई। जिसके बाद गांव के 12 लोग गांव के लिए जंगल के लिए रवाना हुए। लेकिन, लौटे नहीं।
एसडीआरएफ और राजस्व विभाग की टीम को घटनास्थल के लिए रवाना किया गया। सूत्रों के अनुसार जो जानकारी मिल पाई है। उसके अनुसार डेड बॉडी लेकिर टीम लौट रही है। यही जानकारी सरकारी अधिकारी भी कह रहे हैं, लेकिन अधिकारियों के बयानों में एक रूपता नहीं होने के कारण सही जानकारी नहीं मिल पा रहा है।
अधिकारियों के बयान
बयान-1
रिद्धिम अग्रवाल एसडीआरएफ की डीआईजी हैं। उनके अनुसार दिन में एक बजे तक टीम डेड बॉडी वापस लेकर लौट रही थी। साथ ही गांव से गए 12 लोगों को भी वापस अपने साथ ले रहे हैं।
बयान-2
दो बजकर 41 मिनट पर उत्तरकाशी एसपी मणिकांत मिश्रा से पहाड़ समाचार की बात हुई। उन्होंने कहा कि एसडीआरएफ से संपर्क हो गया है। डेड बॉडी लेकर लौट रहे हैं। 12 लोगों के बारे में कोई जानकारी नहीं हैं।
बयान-3
पांच बजकर 25 मिनट पर उत्तरकाशी डीएम मयूर दीक्षित से पहाड़ समचार ने बात की। उनका कहना था कि अब तक संपर्क नहीं हो पा रहा है। हमारी टीमें लगातार प्रयास कर रही हैं। जैसे जानकारी मिलेगी। अपडेट किया जाएगा।
बयान-4
आपदा प्रबंधन विभाग भी कह रहा है कि डेड बॉडी लेकर लौट रहे हैं, लेकिन 12 लोगों के बारे में कोई जानकारी उनके पास भी नहीं है।
इन बयानों के बाद एक बात तो साफ है कि इतनी बड़ी घटना को हल्के में लिया जा रहा है। दूसरा यह कि अधिकारियों के बीच तालमेल की कमी साफ झलक रही है। सवाल यह उठता है कि आखिर आपदा जैसे हालातों में इस तरह की लापरवाही से कैसे निपटा जाएगा। सवाल यह भी है कि किसी को सही मान जाए और किसको गलत?