देहरादून: क्या आपने कभी ऐसा सुना है कि किसी व्यक्ति का सिर उसके पेट में तीन महीने के लिए रख दिया गया हो और तीन महीने बाद निकालकर वापस उसी जगह पर लगा दिया गया हो। आपको इन बातों पर भरोसा नहीं हो रहा होगा, लेकिन ये पूरी तरह सच है। ये कमाल किसी और ने नहीं, बल्कि उत्तराखंड ही नहीं, देश के मशहूर सीनियर न्यूरो सर्जन डाॅ. महेश कुड़ियाल ने किया है।
काफी ज्यादा ब्लड जम गया था
डाॅक्टरों को धरती का भगवान इसिलिए कहा जाता है। यही वो धरती के भगवान हैं, जो लोगों को नई जिंदगी देते हैं। डाॅक्टर महेश कुड़ियाल के पास एक मरीज आया। उनको ब्रेन स्ट्रोक हुआ था। ब्रेन स्ट्रोक के कारण उनके दिमाग के एक हिस्से में काफी ज्यादा ब्लड जम गया था। मरीज को बचाने के लिए जमे खून को बाहर लिकालना जरूरी था।
मरीज के पेट में रख दिया सिर
लेकिन, डाॅक्टर के सामने कुछ दिक्कतें थीं, जिसके चलते उन्होंने तय किया कि उनके सिर के बाहरी हिस्से को निकालकर सुरक्षित रखना होगा। इसके लिए उनके सिर के हिस्से को निकालकर मरीज के पेट में ही रख दिया गया। यह एक या दो महीने की बात नहीं, बल्कि पूरे तीन माह तक उनका सिर उन्हीं के पेट में रहा।
तीन महीने तक पेट में रखा सिर
तीन महीने के बाद डाॅक्टर महेश कुड़ियाल ने मरीज के सिर के बाहर का हिस्सा निकालकर फिर से उनके सिर से जोड़ दिया। अब मरीज स्वस्थ हैं। चलने-फिरने भी लगे हैं। डाॅक्टर महेश कुड़ियाल की मानें तो उनके पास मैटलिक सिर लगाने का विकल्प भी था, लेकिन उसके कुछ खतरे भी रहते हैं। ऐसे में उन्होंने तय किया कि मरीज के ही सिर को सुरक्षित रखकर फिर से उसे ही लगाया जाएगा।
जानें शशि भूषण मैठाणी ने क्या कहा
यूथ आईकाॅन क्रिएटिव फाउंडेशन के संस्थापक सामाजिक कार्यकर्ता शशि भूषण मैठाणी ‘पारस’ ने इसका वीडियो बनाया। उन्होंने डॉक्टर से भी बात की। उनका कहना है कि डाॅक्टर वास्तव में भगवान का ही दूसरा रूप हैं। चिकित्सा विज्ञान ने इतनी तरक्की कर ली है कि लगभगत मरने की स्थिति में पहुंच चुके लोगों को जिंदा कर दे रहे हैं। उन्होंने बताया कि उनको भी कोरोना हो गया था। स्थिति काफी खराब थी। डाॅक्टर ही थे, जिनकी वजह से वो आज स्वस्थ हो गए हैं।