एक्सक्लूसिव : चुनावी राज्यों पर 10 लाख करोड़ का कर्जा, उत्तराखंड का बुरा हाल, कैसे पूरी होंगी घोषणाएं

देहरादून : उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, गोवा, मणिपुर और पंजाब मैं चुनावी शोर चरम पर है। यूपी में पहले चरण के लिए चुनाव प्रचार थम चुका ह। बाकी चार राज्यों में बस कुछ दिन ही शेष रह गए हैं। चुनाव प्रचार के दौरान राजनीतिक दलों के नेता बड़ी-बड़ी घोषणाएं कर रहे हैं। कई तरह की मुफ्त की योजनाओं के साथ ही रियायत देने के भी ऐलान किए जा रहे हैं। लेकिन, सवाल यह है इन सभी राज्यों में हजारों करोड़ का कर्ज पहले से ही है ऐसे में मुफ्त की योजनाओं के लिए बजट कहां से आएगा। देश के पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव चल रहे हैं। सभी राजनीतिक दल लोगों का वोट पाने के लिए बढ़-चढ़कर चुनावी घोषणाएं कर रहे हैं। मुफ्त लैपटॉप, स्कूटी, मुफ्त बिजली, भत्ता-पेंशन, कर्जा माफ करने की होड़ लगी हुई है। ये घोषणाएं तब की जा रही हैं जब ये सभी चुनावी राज्य आकंठ कर्ज में डूबे हुए हैं। इन पांच राज्यों पर 10 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा का कर्ज हो चुका है।

उत्तराखंड पर कुल कितना कर्ज

2017 में उत्तराखंड पर कुल कर्ज 44.50 हजार करोड़ रुपये था। इसके बाद साल दर साल यह बढ़ता रहा। 2018 में यह कर्ज 53.07 हजार करोड़, 2019 में 59.38 हजार करोड़ रुपये, 2020 में 67.54 हजार करोड़, 2021 में 75.35 हजार करोड़ हो गया। 2022 के बजट में यह घाटा बढ़कर 84.288 हजार करोड़ रुपये हो जाने का अनुमान है।

UP का कुल कर्जा

यूपी पर 6.53 लाख करोड़ रुपये और पंजाब पर 2.82 लाख करोड़ रुपये का कर्ज हो चुका है। देश के सभी राज्यों को मिलाकर यह कर्ज 70 लाख करोड़ रुपये तक पहुंच चुका है। देश के कई राज्य कर्ज लेने की क्षमता भी खोने के करीब पहुंच चुके हैं। इसके बाद भी मुफ्त घोषणाएं करने की बीमारी बढ़ती जा रही है। कर्ज में डूबा उत्तर प्रदेश वर्ष 2017 में, जिस समय भाजपा नेता योगी आदित्याथ ने यूपी की सत्ता संभाली, प्रदेश पर कुल 4,73,348.2 करोड़ रुपये का कर्ज था। 2018 में यह कर्ज बढ़कर 5.17 लाख करोड़, 2019 में 5.67 लाख करोड़ और 2020 में 5.49 लाख करोड़ रुपये हो गया। 2021 के संशोधित पूर्वानुमान में यूपी पर कुल कर्ज 6.0 लाख करोड़ रुपये की सीमा को पार कर गया। 2022 के बजट पूर्वानुमान में इसके छह लाख 53 हजार 307.5 करोड़ रुपये होने का अनुमान लगाया गया है।

पंजाब भी कर्ज में डूबा

कांग्रेस की जीत के बाद कैप्टन अमरिंदर सिंह ने 2017 में पंजाब की सत्ता संभाली थी। 2017 में पंजाब पर कुल 1.82 लाख करोड़ रुपये का कर्ज था। 2018 में यह कर्ज 1.95 लाख करोड़ रुपये, 2019 में 2.11 लाख करोड़ रुपये, 2020 में 2.29 लाख करोड़ रुपये हो गया। 2021 के संशोधित पूर्वानुमान में यह कर्ज 2.59 लाख करोड़ रुपये होने का अनुमान है। 2022 के बजट में इसके दो लाख 82 हजार 864.6 करोड़ रुपये होने का अनुमान है।

गोवा और मणिपुर पर भी भारी कर्ज

गोवा छोटा राज्य है। यह पर्यटन की दृष्टि से काफी समृद्ध भी है, लेकिन इसके बाद भी यह कर्ज में डूबा हुआ है। 2017 में नई सरकार आने पर इस पर 16,903 करोड़ रुपये का कर्ज था, जो अब 2022 में बढ़कर 28,509 करोड़ होने का अनुमान है। इसी प्रकार चुनावी राज्य मणिपुर पर 2017 में 8831.4 करोड़ रुपये का कर्ज था जो अब बढ़कर 13510.6 करोड़ होने का अनुमान है।

10 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा का कर्ज

इस प्रकार पांच चुनावी राज्यों का सम्मिलित कर्ज 10.60 लाख करोड़ की सीमा पार कर चुका है। देश के सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को मिला दें तो यह कर्ज 69.47 लाख करोड़ से पार जा चुका है। ताजा आंकड़े आने पर यह आंकड़ा बढ़ सकता है।

शेयर करें !
posted on : February 10, 2022 11:04 am
<
error: Content is protected !!