उत्तराखंड : एक फोन कॉल ने बचाये 12 परिवार, बच गई 60 लोगों की जिंदगियां

देहरादून : 19-20 अगस्त की रात को देहरादून जिले के सरखेत में नाले ने ऐसी तबाही मचाई, जिसके जख्म शायद ही कभी भर पाएंगे। यह जख्म और अधिक गहरे हो सकते थे। लेकिन, एक फोन कॉल ने कई जिदगियों को बचा लिया। गांव के प्रधान और कुछ लोगों को सरखेत से पहले कालसू में बसे लोगों ने इस बात की जानकारी पहले ही दे दी थी कि नाला उफान पर आ गया है।

इस एक फोन कॉल ने करीब 12 परिवारों के 60 से अधिक लोगों की जिंदगी बचा दी। जैसे ही लोगों को फोन आया, उन्होंने सुरक्षित स्थानों की ओर रुख कर दिया। सरखेत से आधा किलोमीटर ऊपर कालसू में बसे परिवारों ने कोखाला नाले के रोद्र रूप को पहले ही भांप लिया था। जिस पर उन्होंने सरखेत के प्रधान और अन्य लोगों को फोन कर आगाह किया। जिससे कई परिवार पहले ही सुरक्षित स्थानों पर पहुंच गए और उनकी जान बच गई।

उत्तराखंड: इस जिले में बादल फटने की खबर गदेरे के उफान ने मचाई तबाही 

कालसू के गीता रावत और बसंत रावत बताते हैं कि गत 19 अगस्त की रात को करीब 11 बजे तेज बारिश शुरू हुई थी। पहले तो सब कुछ सामान्य था। केवल बांदल नदी में ही पानी ज्यादा दिखाई दे रहा था। लेकिन, करीब 12.30 बजे अचानक से उनके घर के पास से गुजर रहे कोखाला नाले से तेज आवाज आने लगी।

उन्होंने देखा कि नाले का पानी तेजी से बढ़ रहा है। साथ ही उसमें पहाड़ी से मलबा और बड़े-बड़े बोल्डर भी आ रहे हैं। उन्होंने खतरे को भांप लिया और उसी वक्त सरखेत के प्रधान और अन्य लोगों को फोन कर घर खाली करने की सलाह दी।

अमर उजाला की रिपोर्ट के अनुसार सरखेत निवासी मनोज पंवार ने बताया कि फोन आते ही उन्होंने अपने कमरे की खिड़की से बाहर देखा तो वह सहम गए। इसके बाद उन्होंने परिवार के लोगों को जगा कर किसी तरह से सुरक्षित स्थान पर पहुंचाया। बताया कि कुछ ही देर में उनके मकान का निचला हिस्सा, प्राइमरी स्कूल, पंचायत घर, उनकी छानी मलबे में तब्दील हो गए।

बताया कि जिस समय यह जलजला आया उस वक्त सभी सो रहे थे। अगर फोन नहीं आता तो शायद ही कोई बच पाता। उन्होंने इसके लिए कालसू के करन सिंह रावत, बसंत रावत, मंगल रावत के परिवार का आभार प्रकट किया।

उधर, कालसू के लोगों का कहना है कि बीते दिनों आई आपदा के चलते वह आज भी दहशत में हैं। बादलों की जरा सी आवाज से वह सहम उठते हैं। उन लोगों के घर कोखाला नाले के बिल्कुल करीब हैं। उन्होंने सरकार से उन्हें कहीं और शिफ्ट करने की मांग उठाई है।

कालसू के करन सिंह, वसंत, मंगल सिंह का कहना है कि वह पिछले चार दिनों से बिजली-पानी समेत तमाम सुविधाओं के लिए तरस रहे हैं। कालसू से आधा किमी नीचे सरखेत, मालदेवता, कुमांल्डा में तो जिला प्रशासन वैकल्पिक व्यवस्था के तौर पर बिजली, पानी की व्यवस्था कर रहा है। लेकिन, उनके यहां की कोई सुध नहीं ले रहा है। उन्हें पीने तक के लिए पानी नहीं मिल पा रहा है।

शेयर करें !
posted on : August 24, 2022 11:19 am
<
error: Content is protected !!