उत्तराखंड : 6 हजार 3 सौ जगहों पर मंडरा रहा खतरा, हर वक्त मुश्किल में जान

  • 6300 जगहों पर मंडरा रहा ख़तरा.

  • लैंडस्लाइड जोन से खतरे में जान.

देहरादून: उत्तराखंड जितना खूबसूरत है। उतना ही खतरनाक भी हो गया है। यह खतरा अपने आप से नहीं, बल्कि पैदा किया गया है। ऐसा खतरा, जिसमें हर साल सैकड़ों लोग अपनी जानें गांवा देते हैं। प्रत्येक साल इन खतरों को टालने के नाम पर करोड़ों-अरबों खर्च कर दिए जाते हैं। बावजूद, ये खतरा कम नहीं हुआ। बल्कि, हर गुजरते साल के साथ बढ़ता गया है। इसी खतरे पर एक चौंकाने वाली रिपोर्ट सामने आई है। ऐसी रिपोर्ट, जिसके बारे में जानकर आप भी हैरान रह जाएंगे।

उत्तराखंड आपदा प्रबंधन विभाग ने वर्ल्ड बैंक के साथ मिल कर एक प्रोजेक्ट पर काम शुरू किया है। उससे पहले विभाग की ओर से राज्य में एक सर्वे किया गया। सर्वे में जो खुलासे और जानकारियां सामने आई हैं। उनके बारे में जानकार खुद आपदा प्रबंधन विभाग भी हैरान है। 2018 से चल रहे इस सर्वे के आंकड़ों अनुसार राज्य में 6300 लैंडस्लाइड जोन हैं।

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इनके पीछे का कारण अनियोजित विकास और बड़ी-बड़ी विकास परियोजनाएं हैं। यही परियोजनाएं उत्तराखंड के युवा पहाड़ों को बर्बाद और तबाह कर रही हैं। ऐसा ही नहीं है कि लैंडस्लाइड जोन केवल पहाड़ी क्षेत्रों में ही हैं। ऋषिकेश से आगे जाते ही लैंडस्लाइड जोन शुरू हो जाते हैं। इधर, विकासनगर से पहाड़ की ओर बढ़ने और देहरादून से मसूरी की और जाते ही कई लैंडस्लाइड जोन नजर आने लगते हैं।

इनके लिए सबसे बड़ा जिम्मेदारी अनियोजित विकास और मानवीय दखल है। इसके अलावा जो एक बड़ा खतरा है। वह यह है कि बारिश के पैटर्न में हुए भारी बदलाव ने भी लैंडस्लाइउ जोन बढ़ाने का काम किया है।

आपदा प्रबंधन विभाग वर्ल्ड बैंक के साथ मिलकर सेंसर लगाने का प्रोजेक्ट तैयार कर रहा है। आपदा प्रबंधन विभाग और वर्ल्ड बैंक का प्रस्ताव है कि सेंसर टेक्नोलॉजी से जुड़ा हुआ है। बड़े लैंडस्लाइड जोन वाली जगहों पर जहां सबसे ज्यादा खतरा होगा, उन जगहों पर सेंसर लगाए जाएंगे। सेंसर लगने के बाद इन जगहों पर हल्क हलचल का भी आपदा प्रबंधन विभाग को पता चल जाएगा। किसी तरह की हलचल मिलते ही लोगों को बचाने में मदद मिलेगी।

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posted on : August 12, 2022 10:42 am
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