देहरादून: हौसले और इरादे मजबूत हों, तो कामयाबी कदम चूमती है। यही हौसला जीने की राह दिखाता है। हौसला ही है, जो कुछ अलग और नया करने की ताकत देता है। हिम्मत हारने से आधी जंग हार जाते हैं। हौसला और हिम्मत हो, तो हारी जंग भी जीती जा सकती है। कुछ ऐसा ही उदाहरण गंभीर बीमारी से जूझ रही रुद्रप्रयाग के रिगेड़ गांव की सिमरन ने पेश किया।
सिमरन का आनलाइन मंचन
राष्ट्रीय बालिका दिवस पर गत 24 जनवरी को कला दर्पण-दिल्ली की ओर से हौसले की जीत पुस्तक की लेखिका सिमरन के जीवन पर आधारित नाटक सिमरन का आनलाइन मंचन किया गया। नाटक में बीमारी से पीड़ित सिमरन के जीवन के उतार चढ़ाव व जीवन संघर्ष को दर्शाया गया था। 15 जून 1997 को रुद्रप्रयाग जिले के जखोली विकास खंड में बैनोली ग्राम सभा के रिगेड़ गांव में जन्मी सिमरन रावत को शरीर पर छाले जैसे घाव होने वाली बीमारी के कारण पढ़ाई-लिखाई में बाधा और चलने फिरने में परेशानी का सामना करना पड़ता है।
हौसले की जीत पुस्तक
अपने परिवार और शिक्षिकाओं और अपने से जुड़े लोगों के सहयोग के कारण वह अपना पढ़ना लिखना ही जारी नहीं रखती बल्कि चार बाल कविताओं, सात कहानियों व एक नाटक से सजी उसकी पुस्तक हौसले की जीत श्री कम्युनिकेशन श्रीनगर के माध्यम से सामने आती है। कर्म ही पूजा है और जीवन संघर्ष की राह पर चल रही 23 साल की सिमरन इन दिनों एक दुकान पर बैठ कर स्वावलंबी बनने का प्रयास कर रही है। सिमरन नाटक का आरंभ उस पर केंद्रित एक बेबीनार से ही होता है।
बाल कलाकारों ने निभाई भूमिका
यहीं से उसकी जीवनगाथा उसके अतीत के साथ ही सामने आने लगती है। नाटक में सिमरन की अलग-अलग उम्र की भूमिकाओं को आयशा चौबे, नौमी थामस, शिवांशी रौथाण ने निभाया। भावना की भूमिका में सृष्टि ध्यानी और दिपेश के रुप में अनमोल ध्यानी रहे। सिमरन के माता-पिता की भूमिका अन्वेषा चौबे व श्रेयांस शर्मा ने निभाई। गंगा असनोड़ा थपलियाल की भूमिका में चेतना थपलियाल व गीता नौटियाल की भूमिका में कृतज्ञा बत्रा रही।
इनका रहा सहयोग
गुरुवचन सिंह सृजन पांडे,ललित कुमार आदित्य स्वामी, जगमोहन कठैत की भूमिका में उत्तरकाशी जिले के पुरोला के महरगांव निवासी निखिल राणा, सुरेन्द्र सिंह नेगी, कबीर बंगाणी, चिकित्सक के रुप में शाश्वत सिंह सिंह के अभिनय के साथ ही छात्रों और शिक्षकों के रुप में भी इन्हीं बाल कलाकारों की भागीदारी रही। नाटक की परिकल्पना, कथा और निर्देशन कला दर्पण के संस्थापक प्रख्यात रंगकर्मी डॉ. सुवर्ण रावत ने किया। तकनीकी पक्ष अभिनव बिष्ट, अनुष्का मखलोगा, श्रीवर्णा रावत,सुजय रावत ने संभाला। कला दर्पण दिल्ली के अध्यक्ष अनिल मखलोगा, उपाध्यक्ष बीना मखलोगा, सचिव मीनाक्षी बिष्ट, सह सचिव महावीर रवांल्टा और कोषाध्यक्ष जयश्री रावत के सी. पंत और प्रेम सिंह बिष्ट व विजय कुमार गुप्ता के सहयोग ने प्रस्तुति को सफल बनाया। सिमरन की आनलाइन प्रस्तुति में राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली से लेकर हरियाणा, राजस्थान, उत्तर प्रदेश व उत्तराखंड के सुदूरवर्ती क्षेत्रों से भी बच्चों ने प्रतिभाग किया। राष्ट्रीय बालिका दिवस पर बच्चों की इस नाट्य प्रस्तुति को दर्शकों ने खूब पसंद किया।