देहरादून: घरों में धरना दिया गया। सोशल डिस्टेंसिंग का भी पूरा पालन किया गया, फिर भी धरना पूरी तरह सफल रहा। इसमें उत्तराखंड ही नहीं देशभर के लोगों ने अपनी आवाज बुलंद की। करीब महीने भर से अधिक से कोरोना के प्रभाव से निपटने के लिए देश भर में लॉकडाउन किया गया. इस लॉकडाउन के चलते रोज कमाने वाले लोगों को भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. अफसोस के साथ कहना पड़ता है कि सरकार की नीतियों में इस तबके के जीवन और रोजगार के लिए जो खतरा लॉकडाउन के चलते उत्पन्न हो गया है, उसकी चिंता केंद्र सरकार की नीतियों और उसके द्वारा उठाए जा रहे कदमों में कहीं नजर नहीं आती. उत्तराखंड के वामपंथी, जनवादी पार्टियों और संगठनों के द्वारा आज लॉकडाउन का पालन करते हुए आयोजित धरने के जरिये सरकार से कई मांगे की
1.देश के विभिन्न हिस्सों में फंसे और घर लौटने के इच्छुक मजदूरों को उनके गंतव्यों तक ट्रेन द्वारा पहुंचाने के लिए उनसे सामान्य समयों से अधिक पैसा लिया जा रहा है. अपना रोजगार खो कर रोजी-रोटी के संकट का सामना कर रहे मजदूरों से इस तरह अधिक किराया वसूलना बेहद अमानवीय और संवेदनहीनता है. हम यह मांग करते हैं कि घर लौटने के इच्छुक सभी प्रवासी मजदूरों और अन्य लोगों को विशेष ट्रेनों के द्वारा निशुल्क उनके गंतव्यों तक पहुंचाया जाये.
2.केंद्र सरकार द्वारा 29 अप्रैल 2020 को लॉकडाउन में फंसे मजदूरों और अन्य लोगों को उनके घरों को लौटने की स्वीकृति दी गयी. लेकिन 03 मई 2020 को उक्त आदेश में संशोधन करते हुए केंद्रीय गृह सचिव ने राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को कहा कि उन्हीं लोगों को घर भेजा जाएगा जो या तो राहत शिविरों में हैं या रास्ते में फंसे हुए हैं. लॉकडाउन के बाद रोजगार गंवा कर विभिन्न जगहों पर घर लौटने की आस लगाए मजदूरों और अन्य लोगों के साथ यह भारी अन्याय है. हम यह मांग करते हैं कि अपने राज्यों को वापस लौटने के इच्छुक सभी लोगों को उनके गंतव्यों तक पहुंचाया जाये.
3.लॉकडाउन के चलते बड़े पैमाने पर मजदूर और अन्य लोग रोजगार से महरूम हुए हैं. उनके सामने जीवन-यापन का गंभीर संकट खड़ा हो गया है. इसलिए हम यह मांग करते हैं कि रोजगार से वंचित सभी लोगों को दस हजार रुपया लॉकडाउन भत्ता दिया जाये. साथ ही तीन महीने का राशन भी उपलब्ध करवाया जाये.
4.कोरोना से निपटने के लिए धन संग्रह हेतु विशेष तौर पर पी.एम केयर फंड बनाया गया है,जिसमें हजारों करोड़ रुपया जमा होने के समाचार भी आए हैं. हमारी यह मांग है कि मजदूरों को उनके गंतव्य तक पहुंचाने में होने वाला खर्च,दस हजार रुपया लॉकडाउन भत्ता और तीन महीने के राशन देने पर होने वाला व्यय पी.एम केयर फंड में जमा धनराशि से किया जाये.
5.आम जन रोजी-रोटी को तरस रहा है,उसका रोजगार छिन गया है,व्यवसाय ठप है. लेकिन इस दिशा में कोई सकारामत्क एवं ठोस पहल करने के बजाय सरकार द्वारा शराब की दुकानें खुलवा दी गयी हैं. यह निंदनीय है. हम यह मांग करते हैं कि शराब की दुकानें खोलने का निर्णय तत्काल वापस लिया जाये.
6.महोदय,उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के पिता का तर्पण बद्रीनाथ में करने के नाम पर उत्तर प्रदेश के महाराजगंज के नौतनहा विधायक अमनमणि त्रिपाठी को केंद्र सरकार के लॉकडाउन निर्देशों का उल्लंघन करते हुए तीन वाहनों के काफिले के साथ बिना पट खुले बद्रीनाथ जाने की अनुमति उत्तराखंड के मुख्यमंत्री के अपर मुख्य सचिव ओमप्रकाश द्वारा दिलवाई गयी. आपदा अधिनियम का उल्लंघन करने और अपने पद का दुरुपयोग करने के लिए केंद्रीय कार्मिक मंत्रालय श्री ओमप्रकाश के विरुद्ध कार्यवाही करे. साथ ही प्रदेश सरकार को निर्देश दिया जाये कि श्री ओमप्रकाश के विरुद्ध मुकदमा दर्ज किया जाये.
7.प्रधानमंत्री जी एक तरफ आपके द्वारा नियोक्ताओं से अपील की गयी कि लॉकडाउन अवधि में अपने कर्मचारियों को न निकालें और दूसरी तरफ उत्तराखंड सरकार द्वारा इसी अवधि में उपनल के जरिये नियुक्त संविदा कर्मियों को हटा दिया गया. हम यह मांग करते हैं कि हटाये गए कर्मियों की बहाली हो और समस्त संविदा,उपनल और ठेका प्रथा के नियुक्त कार्मिकों का नियमितीकरण किया जाये.
8.स्वास्थ्य विभाग में आशा कार्यकत्रियाँ एक तरह से विभाग की रीढ़ की तरह हैं. कोरोना से लड़ने के मोर्चे पर भी वे आगे हैं. लेकिन वे सरकारी उपेक्षा का शिकार हैं. हमारी यह मांग है कि आशा कार्यकर्ताओं को आवश्यक सुरक्षा किट, स्वास्थ्य बीमा की गारंटी और दस हजार रुपया तात्कालिक खर्च के लिए दिया जाये.आंगनबाड़ी कार्यकत्रियों के लिए भी ऐसी ही व्यवस्था की जाये क्यूंकि वे भी इस मोर्चे पर निरंतर कार्य कर रही हैं.
9.डॉक्टर व अन्य स्वास्थ्य कर्मियों,पुलिस,प्रशासन के लोगों सहित कोरोना से लड़ने के मोर्चे पर लगे हर व्यक्ति की स्वास्थ्य और सुरक्षा हेतु समुचित प्रबंध किया जाये.
10.यह देखा जा रहा है कि इस गंभीर संकट के समय भी कुछ लोग सांप्रदायिक घृणा फैलाने के अभियान में लगे हुए हैं. इस मामले पर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर चिंता प्रकट की गयी है. जिम्मेदार पदों पर बैठे हुए लोगों समेत कतिपय व्यक्तियों द्वारा सांप्रदायिक घृणा फैलाने का अभियान निरंतर जारी है. हमारी यह मांग है कि इस प्रवृत्ति पर तत्काल रोक लगाई जाये और ऐसा करने वालों के खिलाफ कठोर कानूनी कार्यवाही की जाये.
11.कोरोना से निपटने के लिए आवश्यक है कि बड़े पैमाने पर टैस्ट किए जाएँ. प्रत्येक जिला मुख्यालय पर टैस्ट की निशुल्क व्यवस्था की जाये.
12.ग्रामीण मजदूरों को मनरेगा के तहत 200 दिन के काम और 500 रुपया प्रतिदिन मजदूरी देना सुनिश्चित किया जाये.
13.सरकार किसानों के पूरे गेंहू की खरीद बाजार दर पर करे. साथ ही ओलावृष्टि से जो नुकसान हुआ है उसका समुचित मुआवजा दिया जाये.गन्ना किसानों का भुगतान भी अविलंब किया जाये.
14.उत्तराखंड के बड़े हिस्से की आर्थिकी चार धाम यात्रा से जुड़ी हुई है. इसके संदर्भ में तत्काल ठोस निर्णय लिया जाये. यदि कोरोना के चलते यात्रा प्रारम्भ करने में बाधा हो तो पर्यटन-तीर्थाटन से जुड़े लोगों को मुआवजा दिया जाये. तमाम तरह की ऋण वसूली और बिजली-पानी के बिलों की वसूली स्थगित की जाये.
15.परिवहन व्यवसाय पूरी तरह ठप पड़ा हुआ है. अतः वाहनों के सभी प्रकार के टैक्स माफ किए जाएँ और उनके घाटे की भरपाई के लिए राहत राशि दी जाये.
16.सरकारी कर्मचारी रात-दिन कोरोना से निपटने के काम में लगे हुए हैं और आपदा राहत कोश में भी योगदान दे रहे हैं,ऐसे में सरकारी कर्मचारियों का डी.ए. फ्रीज करने के निर्णय का हम विरोध करते हैं