Dehradun : दुनिया के अन्य हिस्सों की तरह देश और उत्तराखंड भी कोरोना महामारी का मुक़ाबला करने की कोशिश कर रहा है. समाज में मौजूद हर व्यक्ति यह कोशिश कर रहा है कि इस विकट घड़ी में वह भी अपना योगदान दे ताकि इस खतरे से निपटा जा सके. परंतु जब इस लड़ाई में सबके सहयोग और सहभागिता की जरूरत है, ऐसे समय में उत्तराखंड में सत्ताधारी भाजपा, पुलिस और प्रशासन की मदद से अन्य दलों को राहत कार्यों में योगदान देने से रोक रही है. विपक्षी पार्टियों द्वारा चलाये जा रहे सामूहिक किचन और राहत सामग्री बांटने के अभियान को बाधित करने के लिए पुलिस का इस्तेमाल किया जा रहा है.
पुलिस विपक्षी पार्टियों पर दबाव डाल रही है कि वे राशन हो या पका हुआ भोजन, सब पुलिस के पास जमा करवाएँ. ऐसा न करने पर पुलिस द्वारा कानूनी कार्यवाही की धमकी दी जा रही है. हमारा यह आरोप है कि यही सामग्री भाजपा के नेताओं-कार्यकर्ताओं के द्वारा बँटवाई जा रही है. विपक्षी पार्टियां, स्वयं आगे बढ़ कर अपने संसाधनों के द्वारा इस महामारी से प्रभावित लोगों तक हर संभव सहायता पहुंचाने की कोशिश कर रही हैं. होना तो यह चाहिए था कि सरकार इस प्रयास को मान्यता देती और इस विपरीत स्थिति में सहयोग करने वाली सभी पार्टियों और संगठनों के साथ समन्वय कायम करके काम करती.परंतु त्रिवेन्द्र रावत जी की सरकार, इसके ठीक विपरीत बेहद निकृष्ट राजनीति पर उतर आई है.
राहत अभियान को प्रभावित लोगों की मदद के लिए संचालित करने के बजाय सरकारी मशीनरी के ज़ोर से भाजपा के प्रचार अभियान के तौर पर संचालित करने की कोशिश बेहद शर्मनाक है. ऐसे महामारी के समय में जबकि सरकार को सबका सहयोग ले कर काम करना चाहिए था,ऐसी क्षुद्र और निम्न स्तरीय राजनीति बेहद निंदनीय है.पुलिस और प्रशासन के ज़िम्मेदार पदों पर बैठे हुए लोगों को स्पष्ट करना चाहिए कि आखिर किस कानून के तहत विपक्षी पार्टियों का राहत अभियान बाधित किया जा रहा है और भाजपा को राहत अभियान को पार्टी प्रचार अभियान बनाने की खुली छूट दी जा रही है !
सूर्यकांत धस्माना प्रदेश उपाध्यक्ष काँग्रेस, राजेन्द्र सिंह नेगी राज्य सचिव माकपा, समर भण्डारी राज्य सचिव भाकपा, डॉ.एस.एन.सचान पूर्व प्रदेश अध्यक्ष सपा, जयकृत कंडवाल संयोजक उत्तराखंड पीपल्स फोरम, इन्द्रेश मैखुरी गढ़वाल सचिव भाकपा (माले) ने साझा बयान जारी कर कहा कि हम यह मांग करते हैं कि इस महामारी के आपात समय में इस तरह की क्षुद्र राजनीति बंद हो.विपक्षी पार्टियों और अन्य संगठनों के राहत अभियान को बाधित करने की किसी भी कोशिश पर रोक लगे.